
तिब्बत में चीन शासन के विरोध में पिछले हफ्ते दो तिब्बती युवकों के आत्मदाह में दलाई लामा और उनके अनुयायियों ने उकसाने का काम किया था. एक मीडिया रिपोर्ट में सोमवार को ऐसा दावा किया गया है. इनमें से एक युवक ने भारत में आत्मदाह किया था.
अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने की कोशिश
चीन के सरकारी अखबार 'ग्लोबल टाइम्स' में छपे एक लेख में कहा गया है कि अब तक चीन में 100 से ज्यादा तिब्बतियों ने आत्मदाह की कोशिश की. इनमें अधिकतर
घटनाओं में युवा भिक्षुओं की मौत हो गई. इन घटनाओं के पीछे तथाकथित धार्मिक नेता और उनके अनुयायियों का हाथ होने की बात साबित हुई. इस तरह की घटनाओं
को अंजाम देने के पीछे धारणा यह रही कि इससे मीडिया और राजनीतिक हस्तियों के जरिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समर्थन जुटाया जा सकेगा.
देहरादून-सिचुआन में आत्मदाह से युवाओं की मौत
लेख के मुताबिक आत्मदाह करने वालों की संख्या काफी सीमित है. यह अतिवादी लोग करते हैं जिनका अलगाववादी इस्तेमाल कर जाते हैं. देश को बांटने का कोई भी
कोशिश न सिर्फ नाकाम होगी, बल्कि यह बहुसंख्यक तिब्बतियों की इच्छा भी नहीं है. पिछले हफ्ते भारत के देहरादून में 16 साल के एक तिब्बती छात्र दोरजी त्सेरिंग ने
खुद को आग लगा ली थी. बाद में उसकी मौत हो गई थी. ठीक उसी समय 18 साल के एक युवा तिब्बती भिक्षु कल्सांग वांगडु ने सिचुआन प्रांत में आत्मदाह किया और
उसकी भी मौत हो गई.
मार्च में बढ़ जाती है आत्मदाह की घटनाएं
लेख में कहा गया है कि तिब्बती अलगाववादी समूहों ने तुरंत ही दोनों मामलों को फैला दिया. इसके बाद पश्चिमी मीडिया ने भी इस मामले को जमकर उठाया. यह
अक्सर देखा गया है कि मार्च में इस तरह की आत्मदाह की घटनाओं में बढ़ोतरी होती है. यह तिब्बती अलगाववादियों की रणनीति का एक हिस्सा है. तिब्बत से बाहर
रहने वाले तिब्बती समूहों का कहना है कि हाल के सालों में लगभग 130 लोगों ने आत्मदाह किया है. वे तिब्बत में चीन के शासन का विरोध करते हैं और दलाई लामा
की वापसी चाहते हैं.