Advertisement

देश के वो पांच नेता जिनकी मौत आज भी रहस्य है

देश के पूर्व प्रधानमंत्री से लेकर पूर्व प्रधानमंत्री के बेटे तक की मौत आज भी रहस्य बनी हुई है. और इसकी वजह भी है. एक नजर देश के उन नेताओं पर जिनकी मौत कैसे हुई, ये देश नहीं जानता.

नेताजी सुभाष चंद्र बोस नेताजी सुभाष चंद्र बोस
हर्षिता
  • नई दिल्ली,
  • 09 दिसंबर 2014,
  • अपडेटेड 2:17 PM IST

जो बीजेपी लोकसभा चुनावों से पहले नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत से जुड़ी फाइलों को सार्वजनिक करने की मांग कर रही थी, वह भी सत्ता में आते ही बात से पलट गई. सूचना का अधिकार कानून के प्रावधानों का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय ने साफ कर दिया है कि फाइलें 'गोपनीय' ही रहेंगी. नेताजी की मौत कैसे हुई इसकी सच्चाई से देश अब तक महरूम है. लिहाजा जितने मुंह, उतनी बातें. उनकी मौत कैसे और कहां हुई, इस पर कई थ्योरी दी गई. केवल सुभाष चंद्र बोस ही नहीं, देश के पूर्व प्रधानमंत्री से लेकर पूर्व प्रधानमंत्री के बेटे तक की मौत आज भी राज बनी हुई है. और इसकी वजह भी है. एक नजर देश के उन नेताओं पर जिनकी मौत कैसे हुई, ये देश नहीं जानता-

Advertisement

1. नेताजी सुभाष चंद्र बोस
सुभाष चंद्र बोस की मौत कैसे हुई ये किसी को नहीं पता. दुर्भाग्य ये कि उनकी मौत कब हुई, ये भी कोई नहीं जानता. कई जांच आयोग बनाए गए. लेकिन सभी ने एक शख्स की मौत के पीछे अलग-अलग कारण गिनाए. ब्रिटिश सरकार की रिपोर्ट के अनुसार 1945 में ताइवान के ताइपे(तब जापान का हिस्सा था) में प्लेन दुर्घटना में सुभाष चंद्र बोस की मौत हुई. यानी देश पर शासन कर रही तत्कालीन ब्रिटिश सरकार के अनुसार सुभाष चंद्र बोस की मौत आजादी से पहले ही हो गई. दूसरी रिपोर्ट में पाया गया कि सोवियत सेना की कैद में सर्बिया में नेताजी की मौत हुई थी.

1956 में सरकार ने शाह नवाज कमेटी बनाई जिसके सदस्यों ने जापान जाकर जांच की. कहा जाता है कि जापान के रेनकोजी मोनेस्ट्री में आज भी नेताजी की अस्थियां रखी हुई हैं लेकिन तनाव की आशंका के चलते भारत सरकार उसे भारत नहीं लाई.

Advertisement

2. ललित नारायण मिश्रा 


39 साल, 20 जज और 160 गवाहों के बयान के बाद दिल्ली की अदालत ने ललित नारायण मिश्रा की मौत को हत्या की शक्ल दी. मामले के चारों आरोपियों को दोषी करार दिया गया है. लेकिन अगर घटना के फ्लैशबैक में जाएं, तो पूर्व रेल मंत्री की मौत के पीछे के राज अब भी बरकरार हैं.

2 जनवरी, 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के खासमखास ललित नारायण मिश्रा के एक कार्यक्रम में बम धमाका हुआ. शाम करीब 5:50 पर समस्तीपुर रेलवे स्टेशन पर यह घटना घटी. दूसरे दिन दानापुर के अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. सर्जन आरवीपी सिंह, जिन्होंने मिश्रा का इलाज किया उनके बयान से कई सवाल खड़े हुए.
- दानापुर की जगह एक घंटे की दूरी पर दरभंगा के अस्पताल में मिश्रा को क्यों नहीं ले जाया गया?
- जिस ट्रेन से मिश्रा को समस्तीपुर से दानापुर ले जाया गया उसे एक प्लेटफॉर्म से दूसरे प्लेटफॉर्म तक करीब 45 मिनट तक शंट कराया गया?
- धमाके के बाद इंदिरा गांधी ने रेडियो संबोधन में कहा, 'एलएन मिश्रा की मौत एक रिहर्सल थी. असली टार्गेट वो हैं.' इंदिरा गांधी का भी मर्डर हुआ. लेकिन 9 साल बाद.
वो भी 'ऑपरेशन ब्लू स्टार' के चलते. तो फिर उस वक्त उन्हें खतरा किससे था? और उनपर मंडरा रहे खतरे का असर एल एन मिश्रा की जान पर कैसे पड़ गया?

Advertisement

3. लाल बहादुर शास्त्री


11 जनवरी 1966 को ताशकंत में पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मौत हुई. लेकिन उनकी मौत कैसे हुई, यह आज भी राज है. मेडिकल रिपोर्ट में कहा गया कि शास्त्री जी की मौत हार्ट अटैक के चलते हुई. लेकिन उनकी पत्नी का आरोप था कि उन्हें जहर दिया गया था. मौत के बाद लाल बहादुर शास्त्री का शरीर नीला पड़ गया था. इससे इस बात को तूल मिला कि उनकी मौत दिल का दौरा पड़ने से नहीं, बल्कि जहर से ही हुई है. लाल बहादुर शास्त्री की ड्यूटी पर तैनात बटलर को गिरफ्तार किया गया. लेकिन सबूत नहीं मिलने पर उसे रिहा कर दिया गया. बटलर के बयान पर भी कई सवाल खड़े हुए. प्रधानमंत्री कार्यालय में वह केस फाइल मौजूद है. लेकिन उसे सार्वजनिक नहीं किया जाएगा. विदेशी मुल्कों से रिश्तों और देश में तनाव बढ़ने की आशंका के चलते दस्तावेज गोपनीय ही रहेंगे.

4. संजय गांधी 


23 जून 1980 को तत्कालीन कांग्रेस सांसद संजय गांधी की प्लेन क्रैश में मौत हो गई. दिल्ली में सफदरजंग एयरपोर्ट के पास यह हादसा हुआ. चश्मदीदों के अनुसार संजय गांधी उड़ते प्लेन पर करतब कर रहे थे. प्लेन पर सवार उनके ट्रेनर की भी मौत हो गई. कुछ खास वजहों से प्लेन एक्सिडेंट को साजिश की शक्ल दी गई.
- इंदिरा गांधी घटनास्थल पर पहुंचीं और सबसे पहले संजय गांधी की चाबी की चेन और उनकी कलाई घड़ी के बारे में पूछा. लेकिन उन्हें वो चीजें नहीं मिलीं.
- प्लेन की क्रैश लैंडिंग पर भी सवाल उठे. संजय गांधी का प्लेन जब नीचे गिरा तो ना उसमें आग लगी, ना ही वह ब्लास्ट हुआ.
- संजय गांधी का सरकार पर, यहां तक कि अपनी मां और पीएम इंदिरा गांधी पर भी जोर था. इस कारण उनके कई राजनीतिक दुश्मन बन चुके थे.
अफवाहों के बाजार में ये कहानी भी खूब चली कि बेटे की बढ़ती महत्वकांक्षा के चलते इंदिरा गांधी ने उनकी हत्या कराई थी. हालांकि इसके पीछे कोई ठोस सबूत पेश नहीं किया गया.

5. श्यामा प्रसाद मुखर्जी

11 मई, 1953 को कश्मीर में श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मौत हुई. उन्होंने कांग्रेस के साथ राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी. 1944 में कांग्रेस छोड़ दिया और हिन्दू महासभा के अध्यक्ष बन गए. उन्होंने कश्मीर को स्पेशल स्टेटस देते हुए अलग झंडा और प्रधानमंत्री का हक देने के कांग्रेस के फैसले का विरोध किया. 'एक देश में दो विधान, जो प्रधान और दो निशान नहीं चलेंगे', इस नारे के साथ जब वह कश्मीर पहुंचे तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया. कैद के दौरान उनकी मौत हो गई जिसपर कि सवाल उठे-

- मुखर्जी को जिस इमारत में रखा गया था वो जर्जर हालत में थी.
- कैद के दौरान उनकी तबीयत बिगड़ी. 60 दिन बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया.
- उन्हें पेनिसिलिन से एलर्जी थी. यह बात डॉक्टरों को भी बताई गई थी. फिर भी उन्हें वह दी गई जिसके बाद उनकी मौत हो गई.

मुखर्जी की मां जोगमाया देवी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से मामले की जांच की मांग की. लेकिन कोई जांच कमेटी नहीं बनी. 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement