
दिल्ली के डिप्टी सीएम और शिक्षामंत्री मनीष सिसोदिया ने शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा, 'दिल्ली में चुनाव से पहले 100 फीसदी साक्षरता का वादा तो जरूर किया गया था, लेकिन फिलहाल दिल्ली में शिक्षा को लेकर हालात खराब हैं. सरकारी स्कूलों में 9वीं क्लास के 74 फीसदी यानी हर चार में से तीन बच्चे अपनी टेक्स्ट बुक तक नहीं पढ़ पाते.'
दिल्ली में शिक्षा की दुर्गति के लिए जिम्मेदार कौन?
दिल्ली शायद देश का अकेला ऐसा राज्य है, जिसके सीएम के पास एक भी विभाग नहीं है. शिक्षा विभाग खुद डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के पास है. जिम्मेदारी के सवाल का जवाब देते हुए सिसोदिया ने कहा कि अब तक के तमाम औचक निरीक्षणों में उन्होंने अलग-अलग स्कूलों के कुल 40 प्रिंसिपल सस्पेंड किए हैं या फिर उन्हें सचिवालय अटैच किया है. उन्होंने कहा, 'जिम्मेदारी तय करने में हम कड़े से कड़ा कदम उठाने से भी पीछे नहीं हटेंगे.'
चुनौती-2018 से सुधरेगी शिक्षा
सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधारने लिए सिसोदिया ने 'चुनौती 2018' के नाम से योजना शुरू की है, जिसमें छठवीं क्लास से लेकर दसवीं तक के स्टूडेंट्स को एक विशेष योजना के तहत पढ़ाया जाएगा. वैसे मुख्य तौर पर तो यह योजना उनके लिए है जो बच्चे नौंवी में फेल हुए हैं और जिन्हें 2018 में 10वीं पास करवाना है. मनीष सिसोदिया ने इसका डिटेल प्लान बनाया है. इसमें बच्चों को उनकी क्षमता के मुताबिक अलग-अलग ग्रुप बनाकर शिक्षा देने के अलावा उनकी ब्रेन मैपिंग कर उनकी असफलता का कारण वैज्ञानिक तरीके से जानना तक शामिल है.