
दिल्ली विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के छात्र एमफिल/पीएचडी की प्रवेश परीक्षा केवल अंग्रेजी भाषा में कराए जाने के विरोध में आर्ट फैकल्टी के गेट नंबर 4 के सामने भूख हड़ताल पर बैठ गए और उनकी मांग है कि परीक्षा को फिर से अंग्रेजी के हिंदी अनुवाद के साथ कराई जाए.
आंदोलनरत छात्रों का कहना है कि इतिहास विभाग में इससे पूर्व एमफिल/पीएचडी की प्रवेश परीक्षाएं हिंदी और अंग्रेजी दोनों ही भाषाओं में कराई जाती रही हैं, लेकिन इस साल 21 जून को आयोजित प्रवेश परीक्षा केवल अंग्रेजी भाषा में ली गई, जिससे हिंदी माध्यम से स्नातक और परास्नातक इतिहास विषय से उत्तीर्ण परीक्षार्थियों का प्रदर्शन निराशाजनक रहा.
भाषाई भेदभावकर रहा विश्वविद्यालय
छात्रों ने विभागाध्यक्ष प्रो सुनील कुमार पर भ्रष्टाचार, भाषाई भेदभाव और सीटों को बेचने का आरोप लगाकर कुलपति से विभागाध्यक्ष के इस्तीफे की मांग के साथ और प्रवेश परीक्षा को फिर से कराने की मांग की है.
छात्रों का कहना है कि जून 2018 में आयोजित एमफिल/पीएचडी प्रवेश परीक्षा केवल अंग्रेजी भाषा में लेने के कारण भारत के छोटे-छोटे क्षेत्रों से परीक्षा में सम्मिलित होने वाले गैर अंग्रेजी भाषी छात्रों को 'equal level playing field' नहीं दिया गया.
उनकी शिकायत है कि एमफिल/पीएचडी विषय की विभाग में कुल 25 सीटे हैं और यह प्रवेश परीक्षा केवल दिल्ली में ही नहीं बल्कि पूरे देशभर के प्रमुख केंद्रों में आयोजित की जाती है. ऐसे में यह परीक्षा हर क्षेत्र के छात्रों के लिए अहम है.
प्रश्न बढ़ाने की मांग
प्रवेश परीक्षा में अधिकतर ऐसे छात्र सम्मिलित होते हैं जिनका स्नातक और परास्नातक का विषय हिंदी होता है. इस परिस्थिति में 5 वर्ष तक हिंदी भाषा में इतिहास विषय को पढ़ने वाले छात्र, प्रवेश परीक्षा में अंग्रेजी भाषी छात्रों की तुलना में कम अंक अर्जित कर, परीक्षा से बाहर हो जाते हैं. छात्रों का कहना है कि ऐसे ही भाषाई भेदभाव के कारण उनका भविष्य अंधकार में चला जाता है.
छात्रों ने इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष से परास्नातक सेमेस्टर परीक्षा में परंपरागत 8 प्रश्न में से 4 प्रश्न करने की पद्धति के स्थान पर 6 में से 3 प्रश्न करने जैसी परीक्षा नियम को भी निरस्त करने की मांग की.
आंदोलनरत छात्रों का कहना है इतिहास विभाग की प्रवेश परीक्षाओं को रद्द करके फिर से नई प्रवेश परीक्षा, बौद्ध विभाग और आधुनिक भारतीय भाषा विभाग की एमफिल/पीएचडी की प्रवेश परीक्षाओं की जांच के बाद फिर से परीक्षा आयोजित कराने और एडमिशन कमेटी के चेयरमैन प्रोफेसर एमके पंडित की कार्यशैली की जांच नहीं कराए जाने तक भूख हड़ताल जारी रहेगी.