
जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक सम्मेलन से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को विकसित दुनिया से साफ तौर पर कहा कि विकासशील देश पर्यावरण के दुश्मन नहीं हैं. उन्होंने इस मनोवृत्ति को बदलने पर जोर दिया कि विकास और प्रगति पारिस्थितिकी के प्रतिकूल हैं.
प्रधानमंत्री ने सलाह दी कि विश्वभर में विकसित और विकासशील, दोनों तरह के देशों में पर्यावरण विषयों पर समान स्कूली पाठ्यक्रम होना चाहिए ताकि युवा पीढ़ी जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में समान लक्ष्यों के साथ आगे बढ़ सके. मोदी ने यह बात समान विचारों वाले विकासशील देशों के प्रतिनिधिमंडलों के प्रमुखों के साथ चर्चा करते हुए कही, जो पेरिस में इस साल के अंत में जलवायु परिवर्तन पर होने वाले सम्मेलन की तैयारियों के संदर्भ में यहां एक बैठक के लिए आए हैं.
'कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं'
यह आश्वस्त करते हुए कि भारत जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर समान विचारों वाले विकासशील देशों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है, मोदी ने कहा कि विश्व, जो अब जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से अच्छी तरह अवगत है को जलवायु न्याय के सिद्धांत के बारे में अवगत होना चाहिए.
मोदी ने प्रतिनिधियों से कहा कि कुछ खास समूहों द्वारा, विकासशील देशों में भी, निर्मित इस माहौल का मुकाबला किए जाने की आवश्यकता है कि विकास और प्रगति पर्यावरण के दुश्मन हैं और इसलिए विकास और प्रगति पर चलने वाले सभी लोग दोषी हैं. उन्होंने कहा कि विश्व को यह मानने की जरूरत है कि विकासशील देश पर्यावरण के दुश्मन नहीं हैं.
प्रधानमंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि विकसित देश स्वच्छ प्रौद्योगिकी साझा करने के संबंध में अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करें और जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए विकासशील दुनिया की मदद करें. उन्होंने ऊर्जा खपत घटाने के लिए जीवनशैली में बदलाव का आह्वान किया. केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर भी इस चर्चा के दौरान मौजूद थे.
-इनपुट भाषा से