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ईरान के साथ न्यूक्लियर डील से हाथ खींचकर घिरे ट्रंप, रूहानी बोले- US पड़ा अलग-थलग

ईरान के खिलाफ नई रणनीति का ऐलान करने और इसके भाग्य का फैसला करने का जिम्मा अमेरिकी कांग्रेस के पाले में डालने के ट्रंप के फैसले के बाद से दोनों देश एक बार फिर आमने-सामने आ गए हैं.

डोनाल्ड ट्रंप और हसन रूहानी डोनाल्ड ट्रंप और हसन रूहानी
राम कृष्ण
  • वॉशिंगटन/तेहरान,
  • 14 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 12:44 PM IST

अमेरिका और ईरान के बीच हुए परमाणु समझौते से हाथ खींचने का फैसला लेकर डोनाल्ड ट्रंप वैश्विक मंच पर घिरते दिख रहे हैं. इसको लेकर पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री और ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर निशाना साधा है. दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के लिए नई रणनीति का ऐलान किया है. साथ ही धमकी दी है कि अगर अमेरिकी कांग्रेस ईरान पर  नए प्रतिबंध लागू नहीं करती है, तो वह उसके साथ परमाणु समझौते खत्म कर देंगे.

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ईरान के खिलाफ नई रणनीति का ऐलान करने और इसके भाग्य का फैसला करने का जिम्मा अमेरिकी कांग्रेस के पाले में डालने के ट्रंप के फैसले के बाद से दोनों देश एक बार फिर आमने-सामने आ गए हैं. इस मसले को लेकर ईरान ने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप पर करारा हमला बोला है. वहां के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने कहा कि उनके देश के खिलाफ ट्रंप की आक्रामक रणनीति यह दिखाती है कि अमेरिका परमाणु समझौते के अपने विरोध में अलग-थलग पड़ गया है.

पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री ने भी ट्रंप पर साधा निशाना

पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप साल 2015 के ईरान परमाणु समझौते से समर्थन वापस लेने का खतरनाक फैसला कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संकट पैद कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा हितों और उसके करीबी सहयोगियों के लिए खतरा है. मालूम हो कि इस समझौते पर ईरान के साथ बातचीत केरी ने ही की थी. सांसदों से ट्रंप के खिलाफ खड़े होने की अपील करते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस पर यह दांव भारी पड़ेगा.

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ट्रंप लंबे समय से कर रहे हैं परमाणु समझौते का विरोध

ट्रंप लंबे समय से इस समझौते की आलोचना करते आ रहे हैं. इस समझौते का मकसद ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर रोक लगाना है. साल 1979 में हुई इस्लामी क्रांति से जुड़ी समस्याओं का जिक्र करते हुए ट्रंप ने अपने भाषण में ‘ईरानी तानाशाही, आतंकवाद को उसकी सहायता और पश्चिम एशिया व पूरी दुनिया में लगातार जारी उसके आक्रामक रवैये’ के खिलाफ अपनी बात रखी. ईरानी राष्ट्रपति ने कहा कि ट्रंप ने अंतरराष्ट्रीय कानून नहीं पढ़ा है? क्या कोई राष्ट्रपति खुद से बहुपक्षीय अंतरराष्ट्रीय संधि खत्म कर सकता है? जाहिर है कि वह यह नहीं जानते कि यह ईरान और अमेरिका के बीच का द्विपक्षीय समझौता नहीं है.  

ईरान ने अफगानिस्तान में युद्ध में अमेरिका के शामिल होने की भी निंदा

रुहानी ने साल 1953 के तख्तापलट में सीआईए की संलिप्तता की बात भी कही, जिसमें ईरान की लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार को हटा दिया गया था. उन्होंने वियतनाम से लेकर अफगानिस्तान और ईरान में युद्ध में अमेरिका के शामिल होने की भी आलोचना की. इस दौरान रुहानी ने अमेरिकी जहाज द्वारा ईरान के विमान को गोली मारकर गिराने का जिक्र किया, जिसमें 290 लोग मारे गए थे. ट्रंप ने ईरान की रेवोल्यूशनरी गार्ड्स और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम पर कड़े प्रतिबंधों का आह्वान किया और कहा कि अगर कांग्रेस पश्चिम एशिया में ईरान की ‘अस्थिर’ गतिविधियों का उचित विरोध नहीं करती तो वह समझौता ‘खत्म’ कर सकते हैं.

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