
प्रदूषण से बेहाल दिल्ली को बचाने को लेकर जितनी कोशिशें हो रही हैं, उससे कहीं ज्यादा तेज सियासी जंग हो रही है. पर्यावरण टैक्स के पैसों का इस्तेमाल नहीं करने और प्रदूषण रोकने में नाकाम रहने के मुद्दे पर बीजेपी केजरीवाल सरकार को घेरने में जुटी है. अब बीजेपी ने ऐलान किया है कि वो सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेगी, जिसमें बताएगी कि कैसे दिल्ली सरकार पर्यारण टैक्स के नाम पर वसूले गए 700 करोड़ रुपये को अपनी तिजोरी में बंद करके बैठी रही और दिल्ली में प्रदूषण को रोकने के कोई उपाय नहीं किए.
दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में एंट्री करने वाले कमर्शियल वाहनों पर एनवायरमेंट सेस लगाया था, तब ये स्पष्ट कहा था कि वसूले गए पैसे का इस्तेमाल दिल्ली की हवा को बेहतर बनाने और पब्लिक ट्रांसपोर्ट को दुरुस्त करने पर खर्च किया जाएगा. साथ ही कोर्ट ने दिल्ली सरकार से ये भी कहा था कि हर तीन महीने में सरकार इस फंड और इसके इस्तेमाल को लेकर कोर्ट को जानकारी भी दे.
मनोज तिवारी का आरोप है कि सरकार ने वसूले गए 700 करोड़ से ज्यादा पैसे में से केवल 93 करोड़ खर्च किए हैं, जिससे साफ है कि सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रही और दिल्ली पर प्रदूषण ने अपना कब्जा कर लिया. मनोज तिवारी ने कहा कि केजरीवाल दिल्ली की जनता से एमसीडी चुनाव में मिली हार का बदला ले रहे हैं.
दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने भी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दिल्ली सरकार पर पब्लिक ट्रांसपोर्ट के मामले पर दिल्लीवालों को गुमराह करने का आरोप लगाया. विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि सरकार अपनी नाकामी छुपाने के लिए कहती है कि उसके पास डीटीसी की बसों को पार्क करने के लिए जगह नहीं है और एलजी 132 एकड़ जमीन नहीं दे रहे हैं, जबकि हकीकत ये है कि खुद दिल्ली सरकार के पास 260 एकड़ जमीन मौजूद है, जिस पर 7000 से ज्यादा बसें पार्क हो सकती हैं.
विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि केजरीवाल की मंशा दिल्ली के लोगों को सुविधा देने, पब्लिक ट्रांसपोर्स को मजबूत करने की नहीं बल्कि दिल्ली की जनता से सहानुभूति लेकर अपनी राजनीति चमकाने की है.