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Exclusive: अब मोटरसाइकिल से भी आ रहे चीन के सैनिक, बाराहोती में 5 बार की घुसपैठ

एक वार्ता के दौरान फैसला हुआ कि आईटीबीपी जवान बाराहोती और हिमाचल प्रदेश स्थित कौरिल और शिपकी में हथियार लेकर नहीं जाएंगे. आईटीबीपी जवान साधारण तरीके से यहां पेट्रोलिंग करते हैं. चीन के सैनिक यहां घुसपैठ कर रहे हैं.

सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर
दीपक कुमार/जितेंद्र बहादुर सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 26 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 7:41 PM IST

चीन की घुसपैठ वाली चाल का खुलासा एक बार फिर भारत-चीन सरहद पर हुआ है. 'आजतक' को मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक चीनी सेना ने उत्तराखंड के बाराहोती इलाके में इसी महीने यानी जुलाई के पहले सप्ताह में ताबड़तोड़ घुसपैठ की.

ITBP सूत्रों के मुताबिक चीनी सैनिकों (PLA) ने 10 जुलाई को बाराहोती के तुनजून ला के पास बाइक के जरिए घुसपैठ की. बताया जा रहा है कि एक चीनी सैनिक बाइक पर सवार था और करीब 500 मीटर अंदर बाराहोती के इलाके में घुस आया. हालांकि आईटीबीपी के विरोध के बाद यह चीनी सैनिक बाराहोती के इस इलाके से वापस चला गया.

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ITBP सूत्रों ने बताया कि चीनी सैनिकों ने जुलाई के महीने में करीब 5 बार बाराहोती इलाके में घुसपैठ की है. 8 जुलाई को चीन के 32 सैनिकों ने आधा दर्जन छोटी गाड़ियों के जरिए घुसपैठ की थी और यहां के होतीगाद इलाके में करीब 4 किलोमीटर अंदर चीनी सैनिक घुस आए थे. इन गाड़ियों के साथ - साथ 8 जुलाई को ही एक दर्जन चीनी सैनिक घोड़े पर सवार होकर आए थे.

भारतीय सुरक्षा बलों के विरोध के बाद यह चीनी सैनिक वापस तो लौट गए लेकिन हमेशा इस इलाके में घुसपैठ करने में लगे रहते हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक 3 जुलाई, 6 जुलाई और 7 जुलाई को भी चीनी सैनिक तुनजुन ला के आसपास करीब 200 मीटर अंदर घुस आए थे. भारतीय सैनिकों और अर्ध सैनिक बलों के विरोध के बाद चीनी सैनिक तो वापस लौट गए लेकिन यहां पर काफी कहासुनी भी हुई.

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चीन करता रहता है दावा

दरअसल, बाराहोती का यह इलाका हमेशा चर्चा में रहता है. यहां चीन हमेशा घुसपैठ कर यह जताने की कोशिश करता है कि वह उसका इलाका है. करीब 80 हजार स्क्वायर फीट में फैला यहां पर बहुत बड़ा चारागाह है जो कि दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण है. इसलिए समय - समय पर चीन भी इस इलाके पर दावा करता है लेकिन भारतीय जवानों की जांबाजी से उन्हें पीछे लौटना पड़ता है. बता दें कि पिछले साल इस इलाके में आजतक की टीम पहुंची थी. यह पहला मौका था जब कोई न्यूज चैनल यहां तक पहुंचा था.

उत्तराखंड की सीमाएं चीन के निशाने पर

उत्तराखंड भी हिमालय क्षेत्र में आता है और चीन के साथ 345 किमी. लंबी सरहद साझा करता है. यही वजह है कि उत्तराखंड के सीमावर्ती इलाकों में चीनी सैनिकों की सरगर्मियों का लंबा इतिहास रहा है. उत्तराखंड के तीन जिले उत्तरकाशी, चमोली और पिथौरागढ़ चीन की सीमा के नजदीक हैं. एक जमाने में यहां के निवासियों के तिब्बत से व्यापारिक संबंध थे, लेकिन 1962 में चीन से जंग के बाद ये संबंध टूट गए.

कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालु पिथौरागढ़ जिले के बेलचाधूरा पास और लिपुलेख पास से होकर गुजरते हैं, जबकि माना पास, नीति पास और बाराहोती चारागाह चमोली जिले में आते हैं. वहीं उत्तरकाशी का निलोंग पास इलाका भारत और तिब्बत के बीच व्यापार के लिए मशहूर रहा है. लेकिन 1962 में चीन से युद्ध के बाद निलोंग घाटी के निवासी उत्तरकाशी शहर में जाकर बस गए. अब निलोंग घाटी में जाने के लिए लोगों को प्रशासन से इजाजत लेनी पड़ती है.

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