
झारखंड के देवघर में सोमवार को भगदड़ के बाद 11 श्रद्धालुओं की मौत हो गई और 50 से कांवड़िए घायल हो गए. देश में मंदिरों, मेलों और धार्मिक आयोजनों में ऐसी जानलेवा भगदड़ होना नई बात नहीं है. दो साल पहले इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट ने भीड़ को नियंत्रित करने और ऐसी भगदड़ों को टालने के उपायों पर एक स्टडी की थी. जानिए उसी स्टडी के वो पांच उपाय, जिन्हें अपनाकर ऐसी अनहोनी से बचा जा सकता है.
1. वीवीआईपी एंट्री
अगर प्रशासन को लगता है कि ऐसी भीड़भाड़ वाली जगह पर वीवीआईपी के आने से सुरक्षा को लेकर दिक्कतें हो सकती हैं तो उन्हें एंट्री के लिए मना करने से झिझकना नहीं चाहिए. इमरजेंसी
एक्जिट पूरी तरह से खुले होने चाहिए. वहां बैरिकेडिंग नहीं होनी चाहिए.
2. बिजली का सामान
जनरेटर, सर्किट ब्रेकर्स जैसे बिजली के बड़े सामानों को भीड़भाड़ वाली जगहों से अलग रखा जाना चाहिए क्योंकि कई बार करंट फैलने या शॉर्ट सर्किट से भी भगदड़ मच जाती है. ऐसी चीजों के
आसपास एक सुरक्षा घेरा होना चाहिए. यह भी सुनिश्चित किया जाए कि बिजली की कोई भी तार कटी-फटी न हो.
3. यात्रा मार्ग
सुरक्षा एजेंसियों को प्लानिंग के वक्त ही आयोजन स्थल तक पहुंचने वाले सभी मार्गों, आसपास के इलाकों और संचार माध्यमों के बारे में पूरी पड़ताल कर लेनी चाहिए और उसी के आधार पर
पूरी योजना बनानी चाहिए.
4. पब्लिक ट्रांसपोर्ट
यह ध्यान रखना बहुत जरूरी है कि भीड़ को देखते हुए सार्वजनिक परिवहन सेवाओं और पार्किंग की कितनी जरूरत है. किसी भी तरह की इमरजेंसी को ध्यान में रखकर पूरा प्लान बनाया जाए.
सड़कों को बंद करने और फेंसिंग का काम इस तरह किया जाए कि पैदल चलने वाले लोगों और गाड़ियों को अलग-अलग और पर्याप्त जगह मिल सके.
5. स्वास्थ्य सेवाएं
बड़े धार्मिक आयोजनों के लिए मेडिकल और फर्स्ट एड को लेकर पूरी तैयारियां होनी बहुत जरूरी हैं. किसी भी तरह की इमजेंसी होने पर घायलों को सही वक्त पर इलाज मिलने से ज्यादातर
लोगों को बचाया जा सकता है.