
लगभग 12 साल पहले अंबूर अय्यप्पा कूरियर कंपनी में डिलीवरी ब्वॉय हुआ करते थे और आज उनके पास करोड़ों की संपत्ति है. इस बदलाव की कहानी बड़ी ही दिलचस्प है.
आइयप्पा तमिलनाडु के वेल्लोर जिले के एक टाउन अंबूर में पले बढ़े हैं जो अपने बिरयानी और लेदर के लिए मशहूर है. अंबूर में अपनी प्री डिग्री खत्म करने के बाद अय्यप्पा डिप्लोमा करने के लिए होसूर चले गए. इससे उन्हें अशोक लेलैंड में अप्रेंटिसशिप का काम मिल गया. इसके बाद उन्हें फर्स्ट फ्लाइट में डिलीवरी ब्वॉय की नौकरी मिल गई और वो बंगलुरू चले गए. उनके साथ अपने चार साल के कैरियर के दौरान, वे साउथ बंगलुरु के लिए आने वाले सभी मेल्स के लॉजिस्टिक्स के प्रबंधन का काम करने लगे.
एक वक्त पर उन्होंने महसूस किया कि उनकी योग्यता में सुधार के लिए उन्हें तीन महीने का कोर्स करने की ज़रूरत है और उन्होंने कंपनी से छुट्टी मांग ली. लेकिन जब वह लौट आए, तो फर्स्ट फ्लाइट के पास उसके लिए कोई जगह नहीं थी. फर्स्ट फ्लाइट तब फ्लिपकार्ट के चार कूरियर साझेदारों में से एक थी, जो उस समय पर एक मात्र कम जान पहचान वाली ऑनलाइन बुक सेलर थी. तभी अय्यप्पा फ्लिपकार्ट अकाउंट को मैनेज करने वाले डिलीवरी बॉय से मालूम हुआ कि फ्लिपकार्ट को इन-हाउस लॉजिस्टिक्स पर्सन की तलाश है.
अय्यप्पा फ्लिपकार्ट के ऑफिस चले गए और वहां जाकर वो युवा फाउंडर्स सचिन बंसल और बिन्नी बंसल से मिले. वहां उन्हें नौकरी मिल गई और इस तरह वो फ्लिपकार्ट के पहले कर्मचारी बन गए. वो बताते हैं कि उन्हें कंपनी का ऑफर लेटर भी लगभग एक साल बाद मिला क्योंकि कंपनी में कोई ह्यूमन रिसोर्स टीम ही नहीं थी.
अय्यप्पा की धीरे-धीरे काम में इतनी पकड़ बन गई थी कि कभी-कभी वो बिना सिस्टम में चेक किए ही ग्राहक के ऑर्डर और समस्या को जान लेते थे, क्योंकि उन्हें पेंडिंग काम की सारी जानकारी रहती थी. उनकी पहली सैलरी तब 8000 रुपये थी, लेकिन साथ ही उनके पास nascent वेंचर का शेयर भी था. जो कंपनी के बढ़ने के साथ बढ़ने लगा.
आज, वे फ्लिपकार्ट में कस्टमर एक्सपिरियंस के लिए एसोसिएट डायरेक्टर हैं और 6 लाख रुपये से ऊपर की सैलरी लेते हैं. आज भी वो अपनी पत्नी, मां और दादी के साथ उसी इलाके में रहते हैं जहां वो एक दशक पहले रहते थे. पहले वे पैदल काम पर जाते थे और आज Suzuki Access 125 का उपयोग करते हैं, उनके पास आज भी एक भी कार नहीं है.