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गुरूवार को सुप्रीम कोर्ट ने लिव-इन रिलेशन को लेकर एक अहम फैसला दिया . शीर्ष अदालत ने कहा कि समाज में यह स्वीकार किया जानेवाला नॉर्म है और इसलिए इसे अपराध नहीं कहा जा सकता.
एक स्वीकार्य नॉर्म
जस्टिस दीपक मिश्रा और प्रफुल्ल सी पंत की बेंच ने यह टिप्पणी सरकार से यह पूछने के बाद की कि लिव इन रिलेशनशीप के आंकड़ों का खुलासा करना क्या मानहानी जैसा होगा . अदालत ने टिप्पणी में कहा कि, 'वर्तमान समय में लिव इन रिलेशनशीप एक स्वीकार्य नॉर्म बन गया और अब यह अपराध नहीं है।'
निजी जिंदगी में दखल
अदालत के पूछने पर एटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने जवाब दिया कि जनता को पब्लिक फिगर्स की निजी जिंदगी में दखल नहीं देना चाहिए क्योंकि यह किसी भी तरह के सार्वजनिक हित में काम नहीं करता.
याचिका पर सुनवाई
आपराधिक मानहानि कानून को रद्द करने की मांग को लेकर दायर याचिका का विरोध करते हुए एटॉर्नी जनरल ने कहा कि कानून के साथ ऐसा करना समाज में अराजकता पैदा करेगा.