
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में रेलवे स्टेशनों और यात्री गाड़ियों पर हो रहे नक्सली हमले के मद्देनजर जीआरपी के आधा दर्जन नए थाने खोले जाएंगे. छत्तीसगढ़ सरकार ने इसकी मंजूरी दे दी है. इन थानों में हथियारबंद जवानों की तैनाती की जाएगी. दरअसल, बस्तर में रावघाट परियोजना के चलते आयरन ओर की ढुलाई के लिए रेल लाइन बिछाई गई है. मालवाहक ट्रेनों के अलावा इस ट्रैक पर यात्री गाड़ियों की आवाजाही भी होगी.
फिलहाल बस्तर से विशाखापट्नम तक यात्री गाड़ियां और मालवाहक गाड़ियां दोनों ही अपनी सेवाएं दे रही है, लेकिन आए दिन नक्सली रेलवे स्टेशनों को निशाना बना रहे हैं. ये नक्सली कई बार रेलवे ट्रैक को उखाड़ देते हैं और ट्रेन की बोगियों को आग के हवाले कर देते हैं. रावघाट परियोजना को बस्तर की रीढ़ की हड्डी माना जा रहा है. इस परियोजना से यहां के हजारों ग्रामीणों को रोजगार मिलेगा.
इस मार्ग में रेलवे लाइन का काम शुरू होते ही नक्सलिओ की भौंहे तन गई हैं. वो अभी तक रावघाट परियोजना का विरोध कर रहे थे, लेकिन अब उन्होंने रेल लाइन का भी विरोध शुरू कर दिया है. इनका कहना है कि दोनों ही योजनाओं से आदिवासियों का अहित होगा और उनकी संस्कृति पर आधुनिकीकरण हावी हो जाएगा. इसके चलते आदिवासी अपनी मूल सांस्कृतिक धरोवर तक को खो बैठेंगे. हालांकि इलाके के लोग इसे सिरे से नकार रहे हैं. वो इसे विकास और आजीविका का बेहतर साधन बता रहे हैं.
बस्तर के भानुप्रतापपुर, गुदुम, केवटी, रावघाट, जगदलपुर और दल्लीराजहरा में रेलवे के नए थाने खोलने को मंजूरी मिली है. प्रत्येक थानों में इंस्पेक्टर से लेकर 95 हथियारबंद जवानों की तैनाती की जाएगी. नक्सली अब इन थानों का भी विरोध करने लगे हैं. इस योजना का लगातार विरोध और निर्माण कार्यों को विस्फोटकों से उड़ाने से मजदूरों को डर जरूर सता रहा है, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि नए थानों के विस्तार और सुरक्षा बलों की तैनाती से इलाके में विकास की रफ्तार रंग लाएगी.