Advertisement

हाशिमपुरा नरसंहार: चिदंबरम की भूमिका की जांच की मांग

सुब्रमण्यम स्वामी नेहाशिमपुरा नरसंहार मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस को कांग्रेस नेता पी चिदंबरम की भूमिका की जांच करने का आदेश देने की मांग की.

अमित कुमार दुबे/IANS
  • नई दिल्ली,
  • 31 मार्च 2016,
  • अपडेटेड 7:52 PM IST

भारतीय जनता पार्टी के नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने गुरुवार को दिल्ली उच्च न्यायालय से 1987 में हुए हाशिमपुरा नरसंहार मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस को कांग्रेस नेता पी चिदंबरम की भूमिका की जांच करने का आदेश देने की मांग की. चिदंबरम उस वक्त केंद्रीय गृह मंत्री थे. स्वामी ने न्यायमूर्ति जी एस सिस्तानी और न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल की खंडपीठ से कहा कि उत्तर प्रदेश पुलिस को इस मामले में सभी पहलुओं की जांच करनी चाहिए.

Advertisement

यूपी सरकार पर दस्तावेज नष्ट करने का आरोप
स्वामी ने कहा कि यह जनसंहार का मामला है. उन्होंने कहा कि समाचार पत्रों की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश सरकार इस मामले से जुड़े दस्तावेजों को नष्ट कर रही है. उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के हाशिमपुरा गांव में 22 मई 1987 को कथित रूप से प्रांतीय सशस्त्र बल (पीएसी) कर्मियों ने 42 लोगों की गोली मार कर हत्या कर दी और उनके शवों को नहर में बहा दिया था.

निचली अदालत के फैसले को चुनौती
स्वामी ने अपनी अपील में निचली अदालत के 8 मार्च 2013 के फैसले को चुनौती दी है. निचली अदालत ने इस मामले में चिदंबरम की भूमिका की जांच करवाने की स्वामी की याचिका को खारिज कर दिया था. अदालत इसके अलावा इस मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, उत्तर प्रदेश सरकार, पीड़ितों के परिजन और हादसे में जिंदा बचे लोगों की याचिका पर भी सुनवाई कर रही है. ये याचिकाएं निचली अदालत की ओर से 19 मई को सुनाए गए फैसले में 16 पीएएसी कर्मियों को बरी करने के खिलाफ दायर की गई हैं.

Advertisement

19 मई को अगली सुनवाई
खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार से इस मामले से जुड़ी फाइलों को दाखिल करने का आदेश दिया है. अब इस मामले पर 19 मई को सुनवाई होगी. सुनवाई के दौरान स्वामी ने कहा कि इस मामले की अदालत की निगरानी में सीबीआई जांच होनी चाहिए. इस पर अदालत ने कहा कि अतिरिक्त आवेदन से अनावश्यक रूप से मामले में देरी होगी. पिछले साल 21 मार्च को निचली अदालत ने पीएसी के आरोपी 16 कर्मियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था और कहा था कि इनकी पहचान सुनिश्चित करने के पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement