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MP: 'आईफा अवॉर्ड' के आयोजन पर घिरी सरकार, BJP ने बताया अतिथि विद्वानों का मजाक

विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने आईफा अवॉर्ड समारोह के आयोजन पर विरोध जताते हुए सरकार की प्राथमिकता पर सवाल उठाए हैं. विरोधी दल ने कहा कि खाली खजाने का रोना रोने वाली कमलनाथ सरकार आईफा अवॉर्ड समारोह कराने पर करोड़ों रुपये खर्च कर सकती है, लेकिन 55 दिन से धरने पर बैठे अतिथि विद्वानों को मानदेय क्यों नहीं दे पा रही.

55 दिन से धरने पर बैठे हैं अतिथि विद्वान 55 दिन से धरने पर बैठे हैं अतिथि विद्वान
रवीश पाल सिंह
  • भोपाल,
  • 03 फरवरी 2020,
  • अपडेटेड 9:58 AM IST

  • विपक्षी दल ने सरकार की प्राथमिकता पर उठाए सवाल
  • अतिथि विद्वान बोले- यह जले पर नमक छिड़कने जैसा

मध्य प्रदेश में पहली बार आईफा अवॉर्ड समारोह होने जा रहा है, जिसमें कई फिल्मी सितारे शामिल होंगे. मुख्यमंत्री कमलनाथ इसे लेकर सलमान खान के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले हैं. प्रदेश सरकार इसे सूबे की बड़े स्तर पर ब्रांडिंग बताते हुए अपनी पीठ थपथपा रही है. जनसंपर्क विभाग के मंत्री पीसी शर्मा का दावा है कि इससे भोपाल और इंदौर को वैश्विक पहचान मिलेगी.

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विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने आईफा अवॉर्ड समारोह के आयोजन पर विरोध जताते हुए सरकार की प्राथमिकता पर सवाल उठाए हैं. विरोधी दल ने कहा कि खाली खजाने का रोना रोने वाली कमलनाथ सरकार आईफा अवॉर्ड समारोह कराने पर करोड़ों रुपये खर्च कर सकती है, लेकिन 55 दिन से धरने पर बैठे अतिथि विद्वानों को मानदेय क्यों नहीं दे पा रही. इस आयोजन को अतिथि विद्वानों के विरोध का मजाक बताते हुए एमपी बीजेपी के प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कहा कि कई महीने से अतिथि विद्वानों को वेतन नहीं मिला है.

भोपाल में धरना दे रहे हैं अतिथि विद्वान

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उन्होंने कहा कि अतिथि विद्वानों को नौकरी से बाहर किया जा रहा है. तंज करते हुए अग्रवाल ने कहा कि वाह री कमलनाथ सरकार, युवाओं में है हाहाकार और आपको है आइफा अवॉर्ड की दरकार? आप अपने शौक के लिए आईफा अवॉर्ड करवा रहे हैं और युवा नौकरी से बाहर किया जा रहा है. बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि युवा हड़ताल पर है. ये जनता के साथ अन्याय है.

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वहीं, कड़कड़ाती सर्दी में अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ 55 दिन से धरने पर बैठे अतिथि विद्वानों ने इसे जले पर नमक छिड़कने जैसा बताया है. अतिथि विद्वानों का कहना है कि सरकार को यह बताना चाहिए कि उसके लिए क्या जरूरी है? ठंड में ठिठुरते 55 दिन से धरने पर बैठे अतिथि विद्वान या फिर आईफा अवॉर्ड? डिंडोरी से आकर धरने में शामिल रश्मि शर्मा ने कहा कि यहां इतनी ठंड में टेंट के नीचे एक-एक दिन कैसे कट रहा है, इसका अंदाजा सरकार में बैठे मंत्रियों को नहीं है.

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अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के देवराज सिंह ने कहा कि चुनाव के वक्त कांग्रेस को वोट हमने दिया था, न कि फिल्मी सितारों ने. सरकार को आईफा अवॉर्ड से पहले धरना दे रहे अतिथि विद्वानों की सुधि लेनी चाहिए. उन्होंने कहा कि धरने में शामिल महिलाओं के साथ छोटे-छोटे बच्चे हैं, जिन्हें निमोनिया और पीलीया तक हो गया है. देवराज ने कहा कि कई अतिथि विद्वान बीमारी का शिकार हो गए हैं, फीस नहीं भर पाने के कारण बच्चों का स्कूल से नाम कट गया है, लेकिन सरकार का ध्यान आईफा अवॉर्ड समारोह के आयोजन पर है.

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