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नवरात्र में शक्ति के नव रुपों की उपासना की जाती है. रात्रि शब्द सिद्धि का प्रतीक है.
उपासना और सिद्धियों के लिये दिन से अधिक रात्रियों को महत्व दिया जाता है. हिन्दू के अधिकतर पर्व रात्रियों में ही मनाये जाते हैं. रात्रि में मनाये जाने वाले पर्वों में दीपावली, होलिका दशहरा आदि हैं. शिवरात्रि और नवरात्रि भी इनमें से एक हैं.
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हिंदू त्योहारों में रात्रि का महत्व
रात्रि समय में जिन पर्वों को मनाया जाता है, उन पर्वों में सिद्धि प्राप्ति के कार्य विशेष रुप से किये जाते हैं. नवरात्र के साथ रात्रि जोड़ने का भी यही अर्थ है कि माता शक्ति के इन नौ दिनों की रात्रियों को मनन व चिन्तन के लिये प्रयोग करना चाहिए. नवरात्र में लोग अपनी आध्यात्मिक और मानसिक शक्तियों में वृद्धि करने के लिये अनेक प्रकार के उपवास, संयम, नियम, भजन, पूजन योग साधना आदि करते हैं.
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क्यों करें मां की उपासना
वर्ष में दो बार अवश्य नवरात्र में मां दुर्गा की उपासना करनी चाहिए, इससे मां का विशेष आशीर्वाद मिलता है और दुख दूर होते हैं. साल के शुरु होते ही चैत्र मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नौ दिन अर्थात नवमी तक और इसी प्रकार ठीक छ: मास बाद अश्विन मास, शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से विजयादशमी से एक दिन पूर्व तक, माता की आराधना करनी चाहिए.
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नवरात्र में रात में क्यों करे पूजापाठ
ऋषियों ने रात्रि को अधिक महत्व दिया है. वैज्ञानिक पक्ष से इस तथ्य को समझने का प्रयास करते है. रात्रि में पूर्ण शान्ति होती है. पराविधाएं बली होती हैं. मन-ध्यान को एकाग्र करना सरल होता है. प्रकृति के बहुत सारे अवरोध समाप्त हो जाते हैं. शान्त वातावरण में मंत्रों का जाप विशेष लाभ देता है. ऐसे में ध्यान भटकने की सम्भावनाएं कम रह जाती हैं. इस समय को आत्मशक्ति और मानसिक शक्ति की प्राप्ति के लिये सरलता से उपयोग किया जा सकता है. इसलिए समय निकालकर रात में मां दुर्गा का पूजा उपासना अवश्य करें.
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भोजन क्या करें
नवरात्र में सात्विक भोजन करना चाहिए. जो लोग व्रत रखते हैं वो फलाहार और व्रत वाले पदार्थ ग्रहण कर सकते हैं. जो लोग व्रत नहीं रहते हैं वो भी सात्विक भोजन करें, हल्का खाना खाएं. ऐसा करने से आपका स्वास्थ्य अच्छा रहेगा और पुण्य की प्राप्ति होगी.