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ऐसा पहली बार हुआ है 66-67 सालों में...

67वां गणतंत्र दिवस कई मायनों में ऐतिहासिक रहा. राजपथ पर पहली बार किसी विदेशी सेना ने मार्च किया. पहली बार जमीन से आसमान तक ऐसी सुरक्षा रही. कई दूसरी बातों ने भी इस गणतंत्र दिवस को खास बनाया.

राजपथ पर फ्रांस के सैनिकों का मार्च राजपथ पर फ्रांस के सैनिकों का मार्च
विकास वशिष्ठ
  • नई दिल्ली,
  • 26 जनवरी 2016,
  • अपडेटेड 8:45 AM IST

67वां गणतंत्र दिवस कई मायनों में ऐतिहासिक बन गया. सबसे ज्यादा चर्चा रही राजपथ पर पहली बार किसी विदेशी सेना के मार्च की. फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद की मौजूदगी में फ्रेंच सेना ने इस परेड में हिस्सा लिया .

फ्रांस की सबसे पुरानी रेजिमेंट
फ्रेंच सेना की जिस टुकड़ी ने मार्च किया वह फ्रांस की सबसे पुरानी 35वीं इंफैंट्री रेजिमेंट का हिस्सा है. यह 1604 में फ्रांस के लॉरेन में बनी थी. इसे अब तक 12 युद्धक सम्मान मिल चुके हैं. इसका नेतृत्व लेफ्टिनेंट कर्नल पॉल बेरी ने किया. 76 सैनिकों की इस टुकड़ी में 48 म्यूजिशियन थे. इन्होंने दो सैन्य धुनें बजाईं. अफगानिस्तान में दो बार सेवा देने वाले बेरी ने कहा कि राजपथ पर परेड का हिस्सा बनना हमारे सैनिकों के लिए गर्व की बात है.

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फ्रांस की सेना का मार्च, मायने क्याः देखें वीडियो

यह सब भी पहली बार

  1. आतंकी साजिश के मद्देजनर 1.23 लाख जवान दिल्ली में तैनात .
  2. सुरक्षा के लिए मेट्रो स्टेशनों पर 15 हजार CCTV कैमरे लगाए.
  3. समारोह हर बार की तरह 115 मिनट न चलकर 96 मिनट चला.
  4. डिजिटल इंडिया और आर्मी वेटेरंस की झांकी भी पेश की गई.
  5. सीआरपीएफ की महिला जांबाजों ने बाइक पर करतब दिखाए.

26 साल बाद दिखा डॉग स्क्वॉयड
26 साल बाद पहली बार परेड में आर्मी के डॉग स्क्वॉयड ने हिस्सा लिया. इससे पहले 1990 में गणतंत्र दिवस पर यह डॉग स्क्वॉयड दिखा था. संयोग देखिए कि तब भी डॉग स्क्वॉयड 27 साल बाद परेड में दिखा था. यह 1963 का गणतंत्र दिवस था. डॉग स्क्वॉयड सेना के रीमाउंट वेटरिनरी कॉर्प्स का हिस्सा है.

 

सबसे ज्यादा मुख्य अतिथि फ्रांस से ही
गणतंत्र दिवस पर सबसे ज्यादा बार मुख्य अतिथि फ्रांस के राष्ट्रपति ही बने हैं. ओलांद हमारे चीफ गेस्ट बनने वाले 5वें फ्रेंच राष्ट्रपति हैं. इसके बाद भूटान और रूस का नंबर आता है. भूटान के शासनाध्यक्ष चार बार और रूसी राष्ट्रपति तीन बार भारत के चीफ गेस्ट रहे हैं.

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