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चीन से ऐसे बदला ले रहे भारतीय, 'रिमूव चाइना एप्स' बना सहारा

'रिमूव चाइना एप्स' भारत की स्टार्टअप कंपनी वनटेक एपलैब ने बनाया है. 17 मई को गूगल प्ले स्टोर पर लॉन्च होने के बाद अब तक 10 लाख से ज्यादा बार यह एप डाउनलोड किया जा चुका है. एप डाउनलोड के लिहाज से 'रिमूव चाइना एप्स' नंबर दो पर पहुंच गया है. इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से यूजर्स आसानी से चीनी एप की पहचान कर सकते हैं.

अब तक 10 लाख से ज्यादा बार यह एप डाउनलोड किया जा चुका है (सांकेतिक तस्वीर PTI) अब तक 10 लाख से ज्यादा बार यह एप डाउनलोड किया जा चुका है (सांकेतिक तस्वीर PTI)
गीता मोहन
  • नई दिल्ली,
  • 02 जून 2020,
  • अपडेटेड 8:11 PM IST

  • 17 मई को गूगल प्ले स्टोर पर लॉन्च हुआ एप
  • 10 लाख बार किया जा चुका है डाउनलोड

भारत के नेटिजेंस (इंटरनेट-सोशल मीडिया के लोग) को चीन के खिलाफ एक नया हथियार मिल गया है. इस हथियार का नाम है- रिमूव चाइना एप्स. इस सॉफ्टवेयर के बारे में कहा जा रहा है कि यह भारतीय स्मार्टफोन में चीनी एप्स को डिलीट करने में कारगर है. भारतीय नेटिजेंस इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से चीन के खिलाफ अपनी नाराजगी का इजहार कर रहे हैं. उन्हें लगता है कि कोरोना महामारी फैलाने में चीन की अहम भूमिका है.

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'रिमूव चाइना एप्स' से चीनी पक्ष में बेचैनी है, तभी वहां की सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने भारत के खिलाफ धमकी भरे लहजे का इस्तेमाल किया है. एजेंडा फैलाने में माहिर इस मुखपत्र ने कहा है कि भारतीय सॉफ्टवेयर 'रिमूव चाइना एप्स' दोनों देशों के बीच तल्खी बढ़ा सकता है.

'रिमूव चाइना एप्स' भारत की स्टार्टअप कंपनी वनटेक एपलैब ने बनाया है. 17 मई को गूगल प्ले स्टोर पर लॉन्च होने के बाद अब तक 10 लाख से ज्यादा यह एप डाउनलोड किया जा चुका है. एप डाउनलोड के लिहाज से 'रिमूव चाइना एप्स' नंबर दो पर पहुंच गया है. इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से यूजर्स आसानी से चीनी एप की पहचान कर सकते हैं. स्कैन बटन के जरिये वे सभी चीनी एप को डिलीट भी कर सकते हैं. 'रिमूव चाइना एप्स' से लोग शेयर इट, अलीबाबा के यूसी ब्राउजर और क्लब फैक्ट्री को भी डिलीट करते देखे जा रहे हैं.

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अभी हाल में इस सॉफ्टवेयर को टि्वटर पर शेयर किया गया और लोगों को डाउनलोड करने की सलाह दी गई थी. इस मुहिम में भारतीय सिने कलाकार अरशद वारसी भी शामिल हुए जिनके 22 लाख टि्वटर फॉलोअर्स हैं. वारसी ने शनिवार को एक ट्वीट में लिखा, मैं वह सब कुछ बंद करने जा रहा हूं जो चीन का बना है. हालांकि इसमें वक्त लगेगा क्योंकि हम जिन चीजों का ज्यादातर इस्तेमाल करते हैं, इसका वे (चीनी सामान) बड़ा हिस्सा हैं.

भारतीय सॉफ्टवेयर की इस मुहिम पर एक चीनी कंपनी का भी बयान आया है. पैसेज नाम की कंपनी जो भारतीय मामलों पर फोकस करती है, ने कहा है कि चीन विरोधी सॉफ्टवेयर जरूर किसी भारतीय इंजीनियर ने बनाया होगा. उस इंजीनियर ने चीनी कंपनी में काम किया होगा जिसे संभवतः कोविड महामारी में कंपनी से निकाल दिया गया होगा. इस पूरे वाकये पर ग्लोबल टाइम्स ने वनटच एपलैब से ई-मेल के जरिये संपर्क साधने की कोशिश की लेकिन कोई जवाब नहीं मिला.

ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि सॉफ्टवेयर बनाने वाले इंजीनियर ने चीन विरोधी भावनाओं को भुनाने की कोशिश की है. यह सॉफ्टवेयर चीन और भारत के रिश्ते और बिगाड़ सकता है, खासकर तब जब दोनों देश सीमा विवाद में उलझे हुए हैं. ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि भारत अगर चीन विरोधी भावना को भड़काने की अनुमति देता है तो बीजिंग को भी कुछ वैसा करने पर मजबूर होना पड़ेगा. भारतीय सॉफ्टवेयर के खिलाफ चीनी नेटिजेंस में भी नाराजगी देखी जा रही है. इनका कहना है कि अगर ऐसा है तो भारतीय लोगों को चीनी स्मार्टफोन फेंक देना चाहिए.

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बता दें, भारत में बिकने वाले टॉप 5 मोबाइल फोन के ब्रांड चीन के हैं. इसमें शाओमी का नाम सबसे ऊपर है जिसकी मोबाइल बाजार में हिस्सेदारी 30 फीसदी के आसपास है. पिछले साल भारत के प्रीमियम स्मार्टफोन मार्केट में वनप्लस का नाम सबसे ऊपर था. उधर बीजिंग के एक विशेषज्ञ लियू डिंगडिंग ने ग्लोबल टाइम्स से कहा कि भारतीय सॉफ्टवेयर 'रिमूव चाइना एप्स' से दक्षिण एशियाई बाजारों में चीनी कंपनियों पर कोई असर नहीं पड़ेगा. डिंगडिंग ने कहा कि 'मेड इन इंडिया' की पहल चीनी निर्माण के बिना कारगर साबित नहीं हो सकती.

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