
देशभर में एटीएम खाली पड़े हैं और बैंकों के आगे लंबी कतार है. देश का मध्यम वर्ग और गरीब तबका परेशान है. अधिक परेशान इसलिए कि कई वर्षों से लगातार महंगाई की मार के साथ-साथ अब उसे डिमॉनेटाइजेशन से कैश की दिक्कतों का सामना भी करना पड़ रहा है. ये परेशानी ज्यादा दिनों की नहीं है क्योंकि अर्थव्यवस्था में एक बार ब्लैक इकोनॉमी पर लगाम लग गई तो फिर फायदे ही फायदे है. दलील है कि आपकी सरकार अधिक कमाई करेगी, आम आदमी की जेब में अधिक पैसे बचेगा और आपके बैंकों की तिजोरियां भरी रहेंगी. इन तीनों के असर से कारोबार में तेज ग्रोथ देखने को मिलेगी.
क्या ऐसा करने के लिए यह बेहद जरूरी है कि सरकार आम आदमी की जेब भारी करने के लिए न सिर्फ इनकम टैक्स से राहत दें बल्कि इस सुधार प्रक्रिया के पूरी तरह सटीक बैठने पर इनकम टैक्स के जरिए आमदनी करना बंद कर दे. जी हां. इनकम टैक्स फ्री इकोनॉमी...जानिए कैसे
अच्छे दिन आएंगे?
सरकार ने ब्लैक इकोनॉमी पर लगाम लगाने और ब्लैकमनी को अर्थव्यवस्था से बाहर करने के लिए डिमॉनेटाइजेशन की प्रक्रिया शुरू की है. क्या डिमॉनेटाइजेशन की प्रक्रिया सिर्फ बुरे दिन लेकर आई है? क्या आने वाले
दिन और भी बुरे हो सकते हैं? तो आप आंकड़ों पर ध्यान दीजिए, क्योंकि आंकड़े खुद बता रहे हैं कि अच्छे दिन भी आने वाले हैं.
डिमॉनेटाइजेशन की प्रक्रिया कितनी अहम है इसका अंदाजा इस बात से लगता है कि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अर्थव्यवस्था कुल 18 लाख करोड़ रुपये की है. देश में ब्लैक इकोनॉमी कुल 84 लाख करोड़ की है. सरकार का दावा है कि डिमॉनेटाइजेशन के जरिए वह इस 84 लाख करोड़ रुपए की ब्लैक इकोनॉमी को अर्थव्यवस्था की मुख्यधारा से जोड़ देंगे और जितना नहीं जोड़ पाएंगे वह हिस्सा पूरी तरह से खत्म कर देंगे. डिमॉनेटाइजेशन से सर्वाधिक प्रचलित 500 और 1000 के नोट गैरकानूनी है. उसकी जगह 500 और 2000 रुपये की नई नोट के साथ 100 रुपये की नोट धीरे-धीरे बाजार में पहुंच रही है.
ये जुमला नहीं
डिमॉनेटाइजेशन की इस कठोर प्रक्रिया को शुरू करने के बाद कर्नाटक के बेलगांम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने माना कि इससे लोगों को कुछ कष्ट हो रहा है. उन्होंने विश्वास दिलाया कि यह कष्ट कुछ ही महीनों का है
क्योंकि इसके जरिए सरकार ने आम आदमी के लिए बड़े फायदे का रास्ता साफ कर लिया है.
इसी संदर्भ में जून 2016 में बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने दावा किया था कि उनका बस चले तो वह एक हफ्ते में देश से इनकम टैक्स को खत्म करने का आदेश दे दें. हालांकि कि वे सरकार नहीं हैं, लिहाजा आगे दावा करते हुए कहा कि मौजूदा सरकार को अगले तीन साल के अंदर देश से इनकम टैक्स को खत्म कर देना चाहिए.
वहीं डिमॉनेटाइजेशन की प्रक्रिया शुरू होने के बाद बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने बयान जारी किया कि इस प्रक्रिया के चलते आम आदमी को हो रही दिक्कतों का ध्यान फरवरी में आने वाले बजट में रखा जाएगा. संकेत साफ है कि पांच राज्यों का चुनाव सामने है. लिहाजा उससे पहले आने वाले बजट में आम आदमी के लिए बड़े सौगात का ऐलान किया जा सकता है.
क्यों विफल है इनकम टैक्स का पूरा ढांचा
इनकम टैक्स आपकी वार्षिक आय पर टैक्स है. टैक्स में चोरी ब्लैकमनी पैदा करता है. इसे वसूलने के लिए केन्द्र सरकार का देशव्यापी ढ़ांचा है. यदि बीते लगभग 70 साल के दौरान देश में ब्लैक इकोनॉमी में कई गुना
इजाफा हुआ है, देश और विदेश में कालाधन गड़ा है तो साफ है कि सरकार का यह ढ़ांचा पूरी तरह से विफल रहा है. सेंट्रल बोर्ड फॉर डायरेक्ट टैक्सेस का आंकड़ा कहता है कि भारत में टैक्स और जीडीपी रेशियो
(अनुपात) 17 फीसदी है जबकि वैश्विक स्तर पर यह अनुपात 24 फीसदी है.
देश के दो राज्य महाराष्ट्र और दिल्ली अकेले 53 फीसदी से अधिक इनकम टैक्स भरते हैं. बाकी का 47 फीसदी टैक्स देश के बाकी सभी राज्यों से वसूला जाता है. हैरानी वाला आंकड़ा यह है कि 70 साल की अर्थव्यवस्था और सरकारी ढ़ांचा देश में 3 फीसदी से कम लोगों (लगभग 3.67 करोड़) से इनकम टैक्स वसूल पाती है. वहीं देश में बने हुए पैन कार्ड संख्या के आधार पर अनुमान है कि देश में 21 लाख अतिरिक्त लोगों से आने वाले दिनों में इनकम टैक्स वसूला जा सकता है.
अब सवाल यह है कि जब बीते 70 साल के दौरान 4 करोड़ से कम जनसंख्या इनकम टैक्स अदा कर रही हे और इस दौरान ब्लैक इकोनॉमी कुल अर्थव्यवस्था की चार से पांच गुना बढ़ चुकी है, तो क्या वाकई हमें ऐसे टैक्स ढ़ांचे की जरूरत है?
क्या जीएसटी के बाद बीटीटी की राह हुई आसान
देश का सबसे बड़ा टैक्स सुधार कार्यक्रम लांच के लिए लगभग पूरी तरह से तैयार है. आगामी बजट में संभवत: जीएसटी रोडमैप का ऐलान कर दिया जाए. गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स सरकार की इनडायरेक्ट टैक्स कमाई का
सबसे बडा जरिया बनेगा. इस पर आम राय है कि जीएसटी लागू होने के बाद देश में कारोबारी सैकड़ों अलग-अलग टैक्स अदा करने की दिक्कतों से बचेंगे. साथ ही सरकार को खजाने में बड़ा इजाफा होगा क्योंकि
जीएसटी लागू होने के बाद देश में बिना इस टैक्स को अदा किए कारोबार करना नामुमकिन होगा.
टैक्स संबंधित जानकारों का दावा है कि जीएसटी के बाद वित्तीय सुधार की दिशा में बैंकिंग ट्रान्जैक्शन टैक्स (बीटीटी) एक बेहद अहम विकल्प है. बीटीटी उस स्थिति में लागू किया जा सकता है जब देश में ब्लैक मनी का संचार बंद किया जा चुका हो. देश में होने वाले सभी कैश और कैशलेस ट्रांजैक्शन को बैंक के जरिए किया जाए. बीटीटी लागू करने की कवायद उस स्थिति में की जा सकती है जब देश में इनकम टैक्स दर शून्य हो. खरीदारी और बिकवाली के सभी ट्रांजैक्शन चूंकि बैंक के माध्यम से होंगे इसलिए अर्थव्यवस्था में ब्लैक इकोनॉमी के फिर से पनपने की संभावना बहुत कम रहेगी. वहीं जीरो इनकम टैक्स के नुकसान की भरपाई करने के लिए सरकार इस 2 फीसदी प्रति बीटीटी पर चार्ज लगाकर पूरी कर सकती है.