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जावेद अख्तर बोले- मुस्लिम कट्टरपंथियों की तरह बर्ताव कर रहे हैं कुछ हिंदू समूह

असहिष्णुता पर एक परिचर्चा में उन्होंने कहा, 'अब वे इस जमात में शामिल हो रहे हैं. यह त्रासदीपूर्ण है. हिंदू मत कहिए. यह गलत नुमाइंदगी है. ये कुछ हिंदू समूह हैं.'

जावेद अख्तर जावेद अख्तर
लव रघुवंशी/BHASHA
  • कोलकाता,
  • 28 जनवरी 2016,
  • अपडेटेड 10:43 AM IST

मशहूर गीतकार एवं पटकथा लेखक जावेद अख्तर का मानना है कि कुछ हिंदू समूह अब मुस्लिम कट्टरपंथियों की तरह बर्ताव कर रहे हैं. उन्‍होंने कहा कि यदि इस प्रकार के तत्वों को छोड़ दिया जाए तो भारतीय समाज हमेशा सहिष्णु रहा है.

गीतकार ने साहित्य समारोह में कहा, 'मैंने 1975 में मंदिर में एक हास्य दृश्य दिखाया था. मैं आज ऐसा नहीं करूंगा लेकिन 1975 में भी मैं मस्जिद में ऐसा दृश्य नहीं दिखाता क्योंकि वहां असहिष्णुता थी. अब दूसरा पक्ष उसकी तरह व्यवहार कर रहा है.'

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असहिष्णुता पर एक परिचर्चा में उन्होंने कहा, 'अब वे इस जमात में शामिल हो रहे हैं. यह त्रासदीपूर्ण है. हिंदू मत कहिए. यह गलत नुमाइंदगी है. ये कुछ हिंदू समूह हैं.'

हिंदुओं ने बनाया PK को सफल
जावेद अख्तर ने आमिर खान की फिल्म 'पीके' का उदाहरण देते हुए कहा कि हिंदुओं ने ही इस फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर सफल बनाया. 'शोले', 'डॉन', 'सीता और गीता' और 'दीवार' समेत बॉलीवुड की कई सफल फिल्मों की पटकथा लिखने वाले अख्तर ने कहा, 'मुझे वाकई इस बात को लेकर संदेह है कि यदि आप किसी इस्लामी देश में मुस्लिम प्रतीकों को लेकर इसी प्रकार की फिल्म बनाएंगे तो क्या वह सुपरहिट होगी.'

उन्होंने कहा, 'हम विवादों की स्थिति में अतिवादी रुख अपना लेते हैं.'

हमेशा सहिष्णु रहा भारतीय समाज
अख्तर ने कहा, 'कुछ लोगों का कहना है कि समाज में असहिष्णुता खतरे के स्तर पर पहुंच गई है. मुझे इस बात पर भरोसा नहीं है. कुछ लोग हैं जो कहते हैं कि कोई असहिष्णुता नहीं है. मुझे उन पर भी भरोसा नहीं है. असलियत इस दोनों स्थितियों के बीच है. सच्चाई यह है कि भारतीय समाज हमेशा से सहिष्णु था और है. समाज के कुछ ऐसे वर्ग हैं जो हमेशा भिड़े रहते हैं.'

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नहीं लौटाएंगे अवॉर्ड
कुछ लेखकों की 'अवॉर्ड वापसी' मुहिम पर उन्होंने अपना साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा, 'क्योंकि मैं जानता हूं कि यह पुरस्कार मुझे लेखकों ने दिया है तो मुझे इसे क्यों लौटाना चाहिए?' अख्तर ने कहा कि लेखक इस जूरी का हिस्सा होते हैं, न कि पुलिसकर्मी या नौकरशाह.

पुरस्कार लौटाना विरोध करने का तरीका
मैं नयनतारा सहगल के मामले पर अख्तर ने कहा, मैं समझता हूं कि उन्होंने लोकप्रियता हासिल करने के लिए ऐसा नहीं किया. शायद उन्हें लगा कि इस तरह वह विरोध जाहिर कर सकती हैं.'

लेखक रस्किन बॉन्ड ने कहा कि साहित्य निकाय लोगों की हत्या होने से नहीं रोक सकता. उन्होंने भी अपना अकादमी पुरस्कार लौटाने से इनकार कर दिया है.

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