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दक्षिण भारतीय निवासी मन्नारगुडी माफिया का नाम आते ही समझ जाते हैं कि बात शशिकला की हो रही है. जी हां, वही शशिकला नटराजन जो जयललिता का राइट और लेफ्ट दोनों हैंड रही हैं. अंतिम समय तक वे जयललिता के पास रहीं. उनसे कौन मिलेगा, कौन नहीं- इसका फैसला वही करती रहीं.
दोस्ती की बात करें तो जयललिता और शशिकला के नाम भी अब एक-दूसरे के बिना अधूरे लगते हैं. इनकी दोस्ती की यह कहानी प्यार, लगाव, वादों और फिर रिश्तों में खटास की भी है. बिल्कुल बॉलीवुड फिल्म की तरह.
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जब यह खबर आई थी कि जयललिता ने दो दशकों से भी अधिक तक साथ निभा रही शशिकला को पार्टी से निकाल दिया है तो कयासों का दौर आरंभ हो गया था. यही नहीं जयललिता ने शशिकला आैर उनके परिवार को अपने घर से भी बाहर निकाल दिया था.
कहानी इतनी नहीं है. थोड़ा पीछे चलते हैं. शशिकला ऐसी हाउसवाइफ थीं जो हमेशा फिल्मों में काम करने और सितारों जैसा जीवन जीने के सपने देखती थी. उनके पति आर नटराजन तमिलनाडु सरकार में पब्लिक रिलेशन ऑफिसर थे. वे उस समय कुडालोर जिले के कलेक्टर वी एस चंद्रलेखा के करीबी थे. चंद्रलेखा तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम जी रामाचंद्रन के करीबी थे.
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चूंकि एमजीआर और जयललिता की करीबी सभी को पता है तो वे उस समय जयललिता को राजनीति में ला रहे थे. दूसरी ओर शशिकला ने वीडियो कैमरा खरीदकर अपने मोहल्ले में शादियों को शूट करना आरंभ कर दिया था. उस समय उन्होंने चंद्रलेखा से कहा कि वो जयललिता पर एक वीडियो बनाना चाहती हैं. फिर चंद्रलेखा उन्हें जयललिता के पास ले गईं, फिर क्या हुआ वह इतिहास बन गया.
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इसके बाद शशिकला और जयललिता के बीच दोस्ती हुई, जो परवान चढ़ती गई. 1987 में एमजीआर की मौत के बाद जयललिता बिल्कुल अकेली रह गई थीं. एमजीआर की पत्नी जानकी के सपोटर्स उनके खिलाफ सड़कों पर थे. इस बीच उन्हें शशिकला से सपोर्ट मिला. 1991 में जब जयललिता प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं शशिकला उनके साथ दिखने वाला चेहरा बन चुकी थीं. जयललिता की जगह वही मंत्रियों से बात करती थीं. उन्हें ऑर्डर देती थीं.
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यह भी कहा जाता है कि जयललिता हमेशा ही शशिकला के परिवार के लोगों से घिरी रहती थीं और कोई उन तक पहुंच ही नहीं पाता था. धीरे-धीरे यही मन्नारगुडी माफिया कहलाने लगा क्योंकि शशिकला मन्नारगुडी में ही जन्मी हैं.
यह भी सबको पता है कि शशिकला 1989 से ही जयललिता के साथ रह रही थीं. वे अपने जन्म प्रदेश मन्नारगुडी से 40 नौकर लाईं थीं जो जयललिता का पूरा घर चलाते थे. इसमें मेड, रसोईया, ड्राइवर, माली आदि सभी तरह के काम शामिल थे.
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शशिकला ने ही सहयोग देकर अपने सभी परिवार जनों को 1996 तक अमीर बनाया. पूरे प्रदेश में शशिकला और उसके परिवारजनों के लालच और फिर गलत तरह से पैसे कमाने के किस्से चर्चित रहे हैं. यहां तक कि तमिलनाडु में उद्यम स्थापित करने के लिए भी इस माफिया को पैसा खिलाने का रिवाज था. बिना इनके कुछ नहीं होता था. 1996 के प्रदेश चुनावों में जयललिता की हार का कारण भी यह था.
बाद में जयललिता को इन बातों का आभास हुआ लेकिन तब तक देर हो चली थी. उनकी तबीयत खराब हुई और वे डॉक्टर के पास पहुंचीं तो पता लगा कि उन्हें काफी कम मात्रा में केमिकल सब्सटेंसिज, जिनमें काफी कम मात्रा में आर्सेनिक होता था, दिए जाते रहे.
इसके बाद जयललिता ने इस ब्रिगेड को खुद से दूर हो जाने के लिए कहा. पर मार्च 2012 में एक बार फिर दोनों के बीच की दूरियां खत्म हुईं. ये बात सभी के लिए आज भी पहेली है कि आखिर जयललिता ने शशिकला को माफ क्यों किया, आखिर क्यों वे शशिकला के बिना चलने में खुद को असमर्थ पाती थीं...
बहरहाल अब तो शशिकला तमिलनाडु की सत्ता की बागडोर संभालने के लिए तैयार हैं.