
मुगल बादशाह औरंगजेब की छवि हिंदू विरोधी शासक की थी और आज का दिन भी उनके एक फैसले की वजह से इतिहास के पन्नों में दर्ज है. बताया जाता है कि आज ही के दिन औरंगजेब ने हिंदू स्कूल और मंदिरों को ध्वस्त करने का आदेश दिया था. इस साल में ही औरंगजेब ने बनारस के विश्वनाथ मंदिर और मथुरा के केशव राय मंदिर को तुड़वाने का प्रयास किया था.
कहा जाता है कि औरंगजेब ने अपने शासन के दौरान कई हिंदू विरोधी फैसले लिए थे. अपने शासन काल के 11 वर्ष में 'झरोखा दर्शन', 12वें वर्ष में 'तुलादान प्रथा' पर प्रतिबन्ध लगा दिया था और 1668 ई. में हिन्दू त्यौहारों पर बैन लगा दिया था. साथ ही औरंगजेब ने शरीयत के विरुद्ध लिए जाने वाले करीब 80 करों को खत्म कर दिया था. कई इतिहासकारों का कहना है कि औरंगजेब ‘दारुल इस्लाम’ (इस्लाम का देश) में परिवर्तित करने को अपना महत्त्वपूर्ण लक्ष्य मानता था.
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औरंगजेब छठे मुगल सम्राट थे, जिनका जन्म जन्म 3 नवंबर, 1618 को दोहद में हुआ था. वे मुगल सम्राट शाहजहां के तीसरे पुत्र थे. कहा जाता है कि उन्होंने बड़ी संख्या में मंदिर तुड़वाए, गैर-मुस्लिमों पर जजिया कर लगाया और लाखों हिंदुओं को जबरदस्ती मुसलमान बनने पर मजबूर किया. यह भी माना जाता है कि कट्टर मुसलमान होने के कारण औरंगजेब संगीत विरोधी थे.
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हिंदू विरोधी होने की बात गलत
हालांकि, कई इतिहासकारों का कहना है कि ऐसा कहना गलत है कि औरंगजेब हिंदू विरोधी शासक था. दरअसल औरंगजेब ने जितन मंदिर तुड़वाए थे, उससे अधिक मंदिर उसने बनवाए भी थे. साथ ही औंरगजेब के शासन में अन्य मुगल शासकों से ज्यादा हिंदू नियुक्त किए थे और शिवाजी भी उसी में शामिल थे. औरंगजेब के शासन में हिंदी का इस्तेमाल किया जाता था और उनके शासन में संगीत भी काफी लोकप्रिय हुआ.