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गरीबी में बीता बचपन, अब मजूदर का बेटा बना अफसर

हैदराबाद से ताल्लुक रखने वाले बरनाना याडगिरी ने अमेरिका की नौकरी ठुकराकर सेना में भर्ती होने का फैसला किया. क्योंकि उन्हें सेना में जाकर देश की सेवा करनी थी.

Barnana Yadagiri (Photo: Facebook) Barnana Yadagiri (Photo: Facebook)
अनुज कुमार शुक्ला
  • नई दिल्ली,
  • 17 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 4:15 PM IST

आज का युवा आरामदायक नौकरी चाहता है, लेकिन हम ऐसे लड़के की कहानी बताएंगे, जिन्होंने IIT से पढ़ाई की और अमेरिका से नौकरी का ऑफर आया. लेकिन हैदराबाद से ताल्लुक रखने वाले बरनाना याडगिरी ने अमेरिका की नौकरी ठुकराकर सेना में भर्ती होने का फैसला किया. क्योंकि उन्हें सेना में जाकर देश की सेवा करनी थी.

मध्यमवर्गीय परिवार से है बरनाना

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बरनाना एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते हैं. उनके पिता हैदराबाद में ही सीमेंट की फैक्ट्री में काम करते थे. उनका बचपन गरीबी में गुजरा. लेकिन पढ़ाई में हमेशा अव्वल रहने वाले बरनाना को IIIT से पढ़ाई करने के बाद अमेरिकी कंपनी यूनियन पैसिफिक रेल रोड से हाई पैकेज पर नौकरी का ऑफर मिला था. पर लेकिन उन्होंने उस ऑफर को ठुकरा दिया, क्योंकि उन्हें सेना में जाकर देश की सेवा करनी थी.

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इतना ही नहीं उन्होंने मैनेजमेंट क्षेत्र में सबसे कठिन मानी जाने वाली परीक्षा कैट भी क्वॉलिफाई कर ली थी. उन्होंने 93.4 प्रतिशत मिले थे, जिसके बाद IIM इंदौर से कॉल आई थी, लेकिन वे वहां भी नहीं गए.

...जब बरनाना बन गए भारतीय सीमा का हिस्सा

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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 9 दिसंबर 2017 को भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून (IMA) में पासिंग आउट परेड में 409 नौजवान भारतीय सीमा का हिस्सा बन गए. आइएमए के कठिन प्रशिक्षण से गुजरने वाले इन नौजवानों को पासिंग आउट परेड में पास आउट घोषित किया गया.

पासिंग आउट परेड के दौरान बरनाना के पिता गुन्नाया की आंखों से आंसू नहीं रुक रहे थे. वे अपने बेटे को सेना की वर्दी में देखकर काफी अच्छा महसूस कर रहे थे और करें भी क्यों ना आखिर उनका बेटा वर्दी में था.

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उन्हें नहीं पता था कि इस परेड के बाद उनका बेटा सेना में अफसर बनने वाला है और घर की तस्वीर बदलने वाली है. याडगिरी ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए बताया, 'मेरे पिता बहुत साधारण इंसान हैं. उन्हें नहीं पता था कि मैं सेना में अधिकारी बनने वाला हूं. बल्कि वे तो ये सोच रहे थे कि मैं सेना में सैनिक बनने जा रहा हूं.

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यहां तक कि उन्होंने मुझसे सॉफ्टवेयर कंपनी की नौकरी करने के लिए कहा था. उन्हें लगता था कि वो नौकरी न करके मैंने गलती कर दी है. बता दें, याडगिरी को जिंदगी में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा. पिता की सैलरी अच्छी न होने के कारण सरकारी स्कॉलरशिप की बदौलत उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी की थी.

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