
मुंबई सीरियल ब्लास्ट के दोषी याकूब मेमन ने फांसी से पहले अपनी बेटी से मिलने की अंतिम इच्छा जताई थी. मौत की सजा पाए आरोपी से फांसी दिए जाने से एक दिन पहले ही उसकी आखिरी इच्छा पूछी जाती. जेल प्रशासन इसे पूरा करने की कोशिश भी करता है. क्या आप जानते हैं कि आमिर अजमल कसाब, धनंजय चटर्जी और अफजल गुरु ने फांसी से पहले अपनी क्या अंतिम इच्छा बताई थी?
याकूब मेमन
30 जुलाई, 2015 को मुंबई सीरियल ब्लास्ट के दोषी याकूब मेमन को नागपुर जेल में फांसी दी गई. याकूब ने फांसी से पहले अपनी 21 साल की बेटी से बात करने की आखिरी इच्छा जताई थी. जेल प्रशासन ने उसकी इस आखिरी इच्छा का सम्मान करते हुए फोन पर उसकी बेटी से बात करवा दी थी.
धनंजय चटर्जी
14 अगस्त, 2004 को पश्चिम बंगाल के अलीपुर सेंट्रल जेल में धनंजय चटर्जी को फांसी दी गई थी. धनंजय ने अपनी आंखें और गुर्दे दान करने की आखिरी इच्छा जाहिर की थी. उसने अपने पिता बंशीधर और भाई विकास को अपनी इस इच्छा से अवगत कराया था. हालांकि, इसे पूरा नहीं किया जा सका.
अफजल गुरु
9 फरवरी, 2013 को भारतीय संसद पर हमला करने के दोषी अफजल गुरु को तिहाड़ जेल में फांसी दी गई थी. उसने अंतिम इच्छा के रूप में 'कुरान' की एक प्रति मांगी थी. जेल प्रशासन ने उसकी अंतिम इच्छा पूरी कर दी थी.
अजमल कसाब
21 नवंबर, 2012 को मुंबई पर हमला करने वाले आतंकी आमिर अजमल कसाब को पुणे की यरवडा जेल में फांसी दी गई थी. फासी से पहले उससे उसकी अंतिम इच्छा के बारे में जब पूछा गया तो उसने कहा कि उसकी कोई अंतिम इच्छा नहीं है.
किसको-कब हुई फांसी
15 नवंबर, 1949- आजादी के बाद पहली बार महात्मा गांधी की हत्या के आरोप में नाथूराम गोडसे को फांसी की सजा दी गई थी. गोडसे और उसके साथी नारायण आप्टे को फांसी के फंदे पर लटका दिया गया था.
29 अगस्त, 1982- कुलजीत सिंह उर्फ रंगा और जसबीर सिंह उर्फ बिल्ला को फांसी दी गई. दोनों ने फिरौती के लिए दो बच्चों को अगुवा कर उनकी निर्मम हत्या कर दी थी. उन्हें 1978 एक ट्रेन से गिरफ्तार किया गया था.
27 नवंबर, 1983- जोशी-अभ्यंकर मर्डर केस में राजेंद जक्कल, दिलीप, शांताराम और मुनावर को फांसी दी गई थी.
6 जनवरी 1989- इंदिरा गांधी की हत्या के लिए केहर और सतवंत सिंह को को दिल्ली के तिहाड़ जेल में फांसी हुई थी.
9 अक्टूबर, 1992- पंजाब के सुखदेव सिंह सुख्खा और हरजिंदर सिंह जिंडा को येरवडा जेल में फांसी दी गई थी.
26 अगस्त, 1995- येरवडा जेल में सुधाकर जोशी को फांसी पर लटकाया गया था.
27 अगस्त 1995- सीरियल किलर आटो शंकर नामक को बलात्कार और हत्या के आरोप में फांसी दी गई थी.
क्या होता है फांसी के दिन
फांसी के दिन कैदी सुबह 5 बजे उठाया जाता है. इसके बाद उसको चाय दी जाती है. उसकी इच्छा अनुसार उसे धर्म ग्रंथ पढ़ने के लिए दिया जाता है. उससे पहले उसकी अंतिम इच्छा पूछी जाती है. फांसी के दौरान वहां मौजूद सभी अधिकारियों को अपनी आंखें बंद करनी पड़ती है. करीब एक मिनट बाद फंदे को ढीला कर शरीर को 15 फीट नीचे छोटे से तालाब में गिरा दिया जाता है. उसके बाद डॉक्टर शव की जांच कर मौत की पुष्टि करता है.
मुकेश कुमार