
जब जंगल में इंसान अपना घर बना लें तो इस बात के लिए जानवर को कैसे कोई दोष दे सकता है कि जंगली जानवर उनके घरों में घुस आया. जिस तरह से जंगल को काट-काट कर रिहाइशी इलाकों में तब्दील किया जा रहा है तब ये बात बेमानी लगती है कि किसी के घर में जंगली जानवर ने घुस कर अफरा-तफरी मचा दी है. सही मायने में तो हम इंसान ही उनके जंगलों में घुसते चले जा रहे हैं. ऐसा ही एक मामला देहरादून की पॉश कॉलोनी में शुमार केवल विहार में देखने को मिला, सहस्त्रधारा रोड पर बनी इस कॉलोनी के एक विशाल घर पर जब एक बड़े तेंदुए ने अपना कब्जा जमा लिया.
क्या है मामला
रायपुर थाना क्षेत्र के केवल विहार कालोनी में उस वक्त अफरा-तफरी और दहशत का माहौल हो गया, जब एक घर में अचानक तेंदुआ घुस गया. इस खबर के फैलते ही पूरे रिहायशी इलाके के लोग सकते में आ गए. घटना 12 बजे की है जब कॉलोनी के एक बगीचे से कूद कर अचानक तेंदुआ पहले तो दो तीन घरों में जा घुसा और उसके बाद शर्मा परिवार की कोठी में घुस कर जा बैठा. पहले तो घर में रहने वालों को इस बात का आभास ही नहीं हुआ की आखिर कौन सा जानवर उनके घर में जा घुसा है मगर जैसे ही तस्वीर सामने आई तो उनके होश उड़ गए, तुरंत 100 नंबर पर फोन करके उन्होंने रायपुर पुलिस को सुचना दी जिसके बाद थाने की टीम लेकर फरमान अली मौके पर पहुंचे और सभी घर वालों को तेंदुए की पकड़ से दूर किया और घर के कमरों में बंद करने के बाद तुरंत वन विभाग की टीम को सुचना दी गई.
दहशत को काबू करने के लिए नहीं कोई इंतजाम
वन विभाग की टीम सूचना मिलने के लगभग तीन घंटे बाद बगैर किसी संसाधनों के मौके पर पहुंची. घटना के 3 घण्टों के बाद मौके पर पहुंची टीम के पास सिर्फ एक बन्दूक के अलावा कुछ खास समान नहीं देखने को नहीं मिला, हालांकि उसके एक घण्टे के बाद वन फॉरेस्ट की एक और टीम आई जो आपने साथ पिंजरा और जाल लेकर घटना स्थल पर पहुंची, लेकिन तेंदुए को काबू में करने लिए सबसे बड़े साधन ट्रेंकुलाइजर गन की कमी हमेशा की तरह आज भी देखने को मिली. सभी लोग सहमे हुए इस बात का इंतजार करते रहे कब ट्रेंकुलाइजर गन घटना स्थल पर पहुंचे और गुलदार को काबू में किया जाए. मगर हरिद्वार में हुए आज ही एक हमले की वजह से गन का इस्तेमाल हरिद्वार के जंगलों में किया जा रहा था जिसकी वजह से देरी हो रही है.
सबसे बड़ा सवाल इसी बात को लेकर उठता है कि जिस पुरे प्रदेश का जंगल का क्षेत्रफल पुरे प्रदेश के 70 प्रतिशत से ज्यादा है वहां एक ट्रेंकुलाइसर गन की इतनी कमी कि देहरादून की घटना के लिए हरिद्वार से गन मंगाई जाए ये अपने आप में एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब पुरे वन महकमे को शर्मशार करने के लिए काफी है. क्योंकि 4 घंटे तक तेंदुआ एक ही कंडीशन में बैठा रहा और जब गन आयी तो उसके इस्तेमाल करने से पहले ही वो घरों को फांदता हुआ आंखों से ओझल हो गया. भागते हुए एक महिला को बड़ी मुश्किल से अपनी जान बचानी पड़ी और मीडियाकर्मी भी लपेटे में आने से बाल-बाल बचे.
सतर्कता को लेकर पुलिस की मुनादी
खबर लिखे जाने तक तेंदुआ किसी के हाथ नहीं लगा है लेकिन सभी रास्ते बंद होने की वजह से एक बात साफ है की वो छिपा अभी भी कॉलोनी के पास ही है. कभी इस घर तो कभी उस घर उसकी आंख मिचोली जारी है. किसकी जान को कब खतरा हो जाए यह अभी वहां के रहने वाले भी नहीं समझ पाए हैं बस सभी खिड़की दरवाजे बंद करके सिर्फ यही दुआ कर रहे हैं कि किसी भी तरह से जंगल का प्राणी या तो वापस चला जाए या फिर वनकर्मियों के ही हाथ लग जाए. DFO देहरादून कहकशा नसीम की मानें तो मनाव गलती की ही वजह से तेंदुआ यहां तक आ पहुंचा है और इसको ढूंढना अब बेहद मुश्किल है. आम पब्लिक को एहतियात बरतने की जरुरत है.