Advertisement

कर्जमाफी से बढ़ी मुसीबत, बैंकों पर कृष‍ि कर्ज का बोझ 23% बढ़कर हुआ 60 हजार करोड़

वित्त वर्ष 2017 में बैंकों पर कृष‍ि कर्ज का बोझ काफी ज्यादा बढ़ा है. इस साल कृष‍ि बैड लोन में 23 फीसदी की बढ़ोतरी आई और इसमें 11400 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई. इस बढ़त के साथ यह इस साल 60 हजार करोड़ रुपये तक पहुंचा है. भारतीय रिजर्व बैंक ने कृष‍ि एनपीए के बढ़ने के लिए किसानों की कर्जमाफी और नोटबंदी को जिम्मेदार ठहराया है.

बैंकों के एनपीए में कृष‍ि कर्ज की भी भागीदारी है बैंकों के एनपीए में कृष‍ि कर्ज की भी भागीदारी है
विकास जोशी
  • नई दिल्ली,
  • 10 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 11:20 AM IST

वित्त वर्ष 2017 में बैंकों पर कृष‍ि कर्ज का बोझ काफी ज्यादा बढ़ा है. इस साल कृष‍ि बैड लोन में 23 फीसदी की बढ़ोतरी आई और इसमें 11400 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई. इस बढ़त के साथ यह इस साल 60 हजार करोड़ रुपये तक पहुंचा है. भारतीय रिजर्व बैंक ने कृष‍ि क्षेत्र का गैर निष्पादित संपति (एनपीए) के बढ़ने के लिए किसानों की कर्जमाफी और नोटबंदी को जिम्मेदार ठहराया है.

Advertisement

भारतीय रिजर्व बैंक के डाटा से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2017 में बैंकों का कृष‍ि बैड लोन 23 फीसदी बढ़ा है. वित्त वर्ष 2016 में जहां यह 48,800 करोड़ था. 2017 में बढ़कर 60,200 करोड़ पर पहुंच गया.

डाटा के मुताबिक कृष‍ि क्षेत्र में बैड लोन में 2012 से अब तक 124.74 फीसदी की बढ़ोतरी हो गई है. 2012 में यह 24,800 करोड़ रुपये था. इससे कृष‍ि क्षेत्र में पैदा हो रहे संकट का पता चलता है. डाटा के मुताबिक सबसे ज्यादा एनपीए 2017 में पैदा हुआ है. इससे पहले के चार सालों (2012 से 2017) के बीच यह 24 हजार करोड़ रुपये के करीब था.

मार्च, 2017 तक बैंकों के कुल एनपीए में कृष‍ि क्षेत्र के बैड लोन की भागीदारी 8.3 फीसदी थी. इसमें किसानों को दिया जाने वाला कर्ज शामिल है. इस कर्ज में लघु अवध‍ि के लिए दिया गया फसल लोन और मध्य अवध‍ि व दीर्घावध‍ि के लिए दिया जाने वाला लोन भी शामिल है.

Advertisement

आरबीआई ने अपनी ट्रेंड्स एंड प्रोग्रेस इन बैंक‍िंग रिपोर्ट में इन आंकड़ों को जाहिर किया है. रिपोर्ट के मुताबिक  प्राथमिक सेक्टर के 170,000 करोड़ के एनपीए में 35.4 फीसदी की भागीदारी कृष‍ि क्षेत्र की है.

वहीं, गैर प्राथमिकत क्षेत्र, जिसमें इंडस्ट्री और इंफ्रास्ट्रक्टर सेक्टर  शामिल होता है. बैंकों के एनपीए में इनकी भागीदारी 558,500 करोड़ रुपये की है. कर्जमाफी के बाद भी कॉरपोरेट से एक मामले में किसान काफी आगे हैं. और वो है कर्ज चुकाने के मामले में.  गैर-प्राथमिकता क्षेत्र के 26,80,000 करोड़ कर्ज में से 20.83 फीसदी कर्ज वापस नहीं लौटा है.

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल किसानों को दी जा रही कर्ज माफी को लेकर पहले ही सतर्क कर चुके हैं. उन्होंने कहा था कि राज्यों की तरफ से किसानों की जो कर्ज माफी की जा रही है, उसका सीधा असर बैंकों और वित्तीय संस्थानों की बैलेंस शीट पर पड़ेगा. बता दें कि पंजाब और उत्तर प्रदेश सरकार किसानों का कर्ज माफ करने की घोषणा कर चुकी है. आरबीआई का कहना है क‍ि इसकी वजह से बैंकों का एनपीए लगातार बढ़ रहा है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement