
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर आज सोमवार को संसद का सत्र हंगामेदार हो सकता है. लोकसभा में आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव चर्चा शुरू होगी.
अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव चर्चा के पहले स्पीकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद परवेश वर्मा होंगे. इसके बाद सांसद रामकृपाल यादव चर्चा को आगे बढ़ाएंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 फरवरी को राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलेंगे.
पिछले हफ्ते शुक्रवार को मोदी सरकार 2.0 का पहला बजट पेश होने से पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित किया. अपने भाषण में राष्ट्रपति कोविंद ने मोदी सरकार की उपलब्धियों को गिनाया.
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अपने भाषण के दौरान उन्होंने नागरिकता संशोधन कानून लागू करने और जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने को बड़ा फैसला बताया. संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने विरोध के नाम पर हिंसा करने की आलोचना की.
हालांकि पिछले दिनों दिल्ली में चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी सांसद परवेश वर्मा ने विवादित बयान दिया था. इसके बाद चुनाव आयोग ने परवेश वर्मा पर चुनाव प्रचार के लिए 96 घंटे का प्रतिबंध लगा दिया था, यानी तीन दिनों तक प्रवेश वर्मा चुनाव प्रचार नहीं कर पाएंगे. इससे पहले चुनाव आयोग ने बीजेपी के स्टार प्रचारकों की लिस्ट से परवेश वर्मा को हटा दिया था.
आयोग का सख्त तेवर
निर्वाचन आयोग ने पिछले हफ्ते बुधवार को बीजेपी के प्रचारकों की सूची से केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और सांसद परवेश वर्मा को तत्काल हटाने का आदेश दिया था.
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आयोग ने आदर्श आचार संहिता और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 का उल्लंघन करने के मामले में परवेश वर्मा और अनुराग ठाकुर को नोटिस भेजा था. दिल्ली चुनाव कार्यालय ने पिछले हफ्ते मंगलवार को चुनाव आयोग को बीजेपी के स्टार प्रचारकों (परवेश वर्मा और अनुराग ठाकुर) की ओर से आदर्श आचार संहिता का संदिग्ध उल्लंघन किए जाने पर अपनी रिपोर्ट दाखिल की थी.
क्या था मामला
इस रिपोर्ट में परवेश वर्मा के शाहीन बाग पर बयान देने और धर्मस्थलों से संबंधित उनके ट्वीट के साथ-साथ एक जनसभा में अनुराग ठाकुर के 'गोली मारो गद्दारों को' बयान का जिक्र किया गया था.
सांसद परवेश वर्मा ने कहा था कि राजधानी में लगभग 500 स्थानों पर सरकारी संपत्ति पर मस्जिद और कब्रिस्तान के साथ-साथ हॉस्पिटल और स्कूल बने हैं. उन्होंने कहा कि ये अवैध इमारतें दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए), दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) और दिल्ली जल बोर्ड और अन्य सरकारी एजेंसियों की हैं.