
आधार कार्ड को लेकर लगातार तमाम सवाल उठाए जाते रहे हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि आधार कार्ड की मदद से बिछड़े लोगों को उनके परिवार वालों से भी मिलाया जा सकता है. उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ से गुम से हुई एक गूंगी-बहरी महिला का आधार कार्ड बनने से पता चल सका. महिला 11 महीनों से गुमशुदा थी.
एनजीओ के साथ रह रही थी महिला
इसी साल फरवरी में अपने ससुराल प्रतापगढ़ से जौनपुर मायके के लिए निकली महिला गलत ट्रेन में बैठ जाने से भटक गई. वो सोनभद्र जिले के राबर्ट्सगंज आ गई. बोलने और सुनने में असमर्थ इस विवाहिता के लिए निरक्षरता अभिशाप से कम नहीं था. महिला पिछले 11 महीने से एक एनजीओ के साथ रह रही थी. परिवार वालों ने भी मिलने का आसरा छोड़ दिया था.
अंगूठे का निशान देते ही सामने आई पहचान
11 महीने से एनजीओ में रह रही महिला की पहचान तब उजागर हुई, जब उसका आधार कार्ड बनवाने का फैसला किया गया. जैसे ही उसने अपने अंगूठे का निशान देने के लिए मशीन पर अंगूठा रखा वैसे ही उसकी पहचान सामने आ गई. आधार कार्ड पहले से ही बना होने के कारण उसके ससुराल वालों और पति को पुलिस ने सूचना दी. सूचना के बाद पति सहित ससुराल के लोग उसे लेने राबर्ट्सगंज आ गए. पुलिस अधीक्षक ने महिला को उपहार देकर सम्मानित ढंग से विदा किया.