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दिग्विजय सिंह की नर्मदा 'तीर्थयात्रा' खत्म हुई, क्या होगा अगला सफर ?

वहां पूर्व केंद्रीय मंत्री कमलनाथ भी मौजूद थे और उन्होंने नर्मदा वृक्षारोपण कार्यक्रम की नाकामी के लिए राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया और लोगों को याद दिलाया कि राज्य का भविष्य तय करने में अब महज छह महीने बचे हैं

लंबा सफरः  नर्मदा परिक्रमा संपन्न होने के अवसर पर बरमान घाट पर पत्नी अमृता के साथ दिग्विजय सिंह लंबा सफरः नर्मदा परिक्रमा संपन्न होने के अवसर पर बरमान घाट पर पत्नी अमृता के साथ दिग्विजय सिंह
राहुल नरोन्हा/संध्या द्विवेदी/मंजीत ठाकुर
  • नई दिल्ली,
  • 18 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 3:28 PM IST

मध्य प्रदेश के सबसे चर्चित तीर्थयात्री दिग्विजय सिंह की 3,300 किमी. लंबी नर्मदा परिक्रमा 9 अप्रैल को संपन्न हुई. उन्हें अपनी पत्नी अमृता राय और करीब 200 सहयात्रियों के साथ नरसिंहपुर जिले में बरमान घाट पर पहुंचने में करीब छह महीने लगे.

अपने वादे के पक्के दिग्विजय ने इस तीर्थयात्रा के दौरान कोई राजनैतिक टिप्पणी नहीं की. लेकिन अब वह वक्त बीत गया है, सो, कांग्रेस और भाजपा दोनों में ही इस चतुर राजनीतिक की अगली चाल पर नजरें गड़ाए हैं.

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लेकिन उसके पहले पूर्व मुख्यमंत्री की राजनीति की दुनिया में वापसी से कांग्रेस में उस उलझन पर भी कुछ रोशनी पड़ने की उम्मीद है कि इस साल अक्तूबर में तय विधानसभा चुनावों में क्या पार्टी मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का ऐलान करे या नहीं? गौरतलब है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया तो मुख्यमंत्री पद के चेहरे की घोषणा के पक्ष में हैं लेकिन दिग्विजय ऐसा नहीं चाहते.

दिग्विजय की मौजूदगी से प्रदेश कांग्रेस में विभिन्न गुटों के बीच मतभेदों के तीखे होने की ही गुंजाइश है. पार्टी में बरमान घाट भंडारे में सिंधिया की गैर-मौजूदगी पर पहले ही चर्चाएं शुरू हो गई हैं. दिग्विजय के इस ऐलान से उनके खेमे के करीब आधा दर्जन मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवारों के बांछें ही खिलने की उम्मीद है कि वे मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल नहीं हैं.

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भाजपा के लिए दिग्गी राजा (वे इसी नाम से मशहूर हैं) ही ऐसे एकमात्र कांग्रेस नेता हैं जिनका पूरे प्रदेश भर में रसूख है और पार्टी संगठन में गहरा जुड़ाव है. इसलिए भगवा दल के नेता सार्वजनिक रूप से उन्हें भले ही खारिज करें मगर निजी तौर पर मानते हैं कि उनमें अवैध खनन, प्रदूषण और नर्मदा पौधारोपण की नाकाम पहल को राज्य में मुद्दा बनाने की कूवत है.

इसके अलावा, भले दिग्विजय कहें कि नर्मदा यात्रा उनकी 'व्यक्तिगत आस्था' का मामला था, जानकारों का मानना है कि कठिन तीर्थयात्रा से उन पर कुछ समय से चस्पां 'हिंदू विरोधी' धब्बा भी धुल जा सकता है. इसे उनकी धार्मिक आस्था की ओर वापसी भी माना जा सकता है. यह भाजपा के लिए परेशानी का सबब हो सकता है. बरमान घाट पर 9 अप्रैल को भगवा और पीत वस्त्रधारी संतों और धर्मगुरुओं का भारी सैलाब देखकर ऐसा लग रहा था, मानो यह कोई संघ परिवार का आयोजन हो.

दिग्विजय की नर्मदा परिक्रमा खत्म होने के एक दिन पहले हिंदू महासभा के चक्रपाणि और कल्कि पीठाधीश्वर प्रमोद कृष्णन ने उनकी तारीफ की. केंद्र और राज्य सरकार की खुलकर आलोचना करने वाले इन साधुओं ने उनसे पवित्र नदी को बचाने के लिए गंगा यात्रा करने की भी अपील की.

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दिग्विजय के भंडारे में कुछ अतिथियों ने चैंकाया भी. वहां पूर्व केंद्रीय मंत्री तथा भाजपा सांसद प्रह्लाद पटेल और प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार में मंत्री उनके भाई जालम सिंह पटेल मौजूद थे. भाजपा विधायक संजय शर्मा भी मौजूद थे. केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने तो पहुंचने में असमर्थता जाहिर की लेकिन अपने 'भाई' से वादा किया कि वे जल्दी ही उनसे मिलेंगी. गौरतलब है कि प्रह्लाद पटेल और उमा भारती दोनों के रिश्ते मुख्यमंत्री चौहान से खट्टे हैं.

वहां पूर्व केंद्रीय मंत्री कमलनाथ भी मौजूद थे और उन्होंने नर्मदा वृक्षारोपण कार्यक्रम की नाकामी के लिए राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया और लोगों को याद दिलाया कि राज्य का भविष्य तय करने में अब महज छह महीने बचे हैं. पिछले साल सितंबर में इस यात्रा को हरी झंडी दिखाने वाले शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने दिग्विजय की परिक्रमा के बरअक्स चौहान की 'हेलिकॉप्टर यात्रा' का जिक्र किया.

टीकमगढ़ से आए पूर्व विधायक ब्रजेंद्र सिंह राठौर कहते हैं, ''कांग्रेस कार्यकर्ता आसन्न विधानसभा चुनावों के दिशा-निर्देश के लिए नेताओं की ओर ताक रहे हैं.'' उन्होंने कहा कि कई 'लंबित फैसलों' (दिग्विजय की गैर-मौजूदगी की वजह से) पर अब सबसे पहले बात होनी चाहिए.

अहम यह भी है कि अपनी 3,300 किमी. यात्रा के दौरान दिग्विजय राज्य के कुल 230 विधानसभा क्षेत्रों में से 110 में वोटरों तक पहुंचे हैं. और अब वे 'राजनैतिक' यात्रा पूरी करने की सोच रहे हैं. उन्होंने कहा, ''मैं ओंकारेश्वर में प्रार्थना करूंगा और उसके बाद दिल्ली जाऊंगा. उसके कुछ दिन बाद वरिष्ठ पार्टी नेताओं से मिलने मध्य प्रदेश लौटूंगा, जिसकी शुरुआत इंदौर से होगी.''

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