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अगर अजित पवार BJP के साथ नहीं जाते तो भी डिप्टी सीएम ही बनते!

देवेंद्र फडणवीस सरकार को समर्थन देने के बावजूद पवार परिवार की कोशिश है कि किसी भी तरह अजित पवार को मनाया जाए और उन्हें एनसीपी खेमे में फिर से वापस बुलाया जाए. शरद पवार और सुप्रिया सुले ने रविवार को अजित पवार के भाई श्रीनिवास से भी बात की थी.

सियासत की बिसात पर अजित पवार की चाल ने सभी को चौंका दिया (फोटो-PTI) सियासत की बिसात पर अजित पवार की चाल ने सभी को चौंका दिया (फोटो-PTI)
वरुण शैलेश
  • नई दिल्ली,
  • 24 नवंबर 2019,
  • अपडेटेड 4:27 PM IST

  • NCP सरकार में भी डिप्टी सीएम ही बनते अजित
  • क्या अब भी उनकी विश्वसनीयता रहेगी कायम

महाराष्ट्र का सियासी झगड़ा सुप्रीम कोर्ट की दहलीज तक पहुंच चुका है जिस पर कोर्ट अब सोमवार को फैसला सुना सकती है. महाराष्ट्र की राजनीति में शनिवार को उस समय हंगामा खड़ा हो गया जब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता और पार्टी मुखिया शरद पवार के भतीजे अजित पवार देवेंद्र फडणवीस के साथ डिप्टी सीएम पद की शपथ लेते हुए टीवी स्क्रीन पर नजर आए.

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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे 24 अक्टूबर को आ गए थे. उसके बाद से सरकार गठन को लेकर दावपेच जारी था और इसे लेकर तमाम तरह के कयास भी लगाए जा रहे थे, लेकिन इस बात का किसी को अंदाजा नहीं था और न ही किसी ने सोचा होगा कि एनसीपी का कोई नेता बीजेपी के साथ जाकर डिप्टी सीएम पद की शपथ ले लेगा. हालांकि महाराष्ट्र की सियासत की बिसात पर अजित पवार ने एक ऐसी चाल चली जिसने सभी को चौंका दिया.

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सुप्रिया सुले को नहीं था अंदाजा

अजित पवार के इस कदम से एनसीपी की सांसद और शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले इतनी दुखी हुईं कि उन्हें कहना पड़ा कि इसका बिल्कुल अंदाजा नहीं था. सुप्रिया सुले ने कहा कि परिवार के साथ पार्टी भी टूट गई है. लेकिन इसके बावजूद पवार परिवार की कोशिश है कि किसी भी तरह अजित पवार को मनाया जाए और उन्हें एनसीपी खेमे में फिर से वापस बुलाया जाए. शरद पवार और सुप्रिया सुले ने रविवार को अजित पवार के भाई श्रीनिवास से भी बात की थी.

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यह जगजाहिर है कि अजित पवार एनसीपी के भीतर पहले से ही काफी मुखर रहे हैं, लेकिन सवाल है कि जब एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना के साथ मिलकर सरकार बनाने की कोशिश कर रही थी, तब फिर अजित पवार ने अचानक ऐसा कदम क्यों उठाया?

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क्या गलती कर बैठे अजित?

महाराष्ट्र में शिवसेना से अलग होने के बाद जब बीजेपी ने अपने बूते सरकार बनाने से हाथ खड़े कर दिए तो शिवसेना ने एनसीपी और कांग्रेस के साथ सरकार बनाने की कवायद शुरू कर दी. शुक्रवार शाम की बैठक में यह तय हो गया कि उद्धव ठाकरे की अगुवाई में तीनों दल सरकार बनाएंगे.

अजित पवार को एनसीपी का विधायक दल का नेता चुना गया था और उद्धव ठाकरे को समर्थन देने वाला जो पत्र तैयार किया गया था, उस पर भी उनके ही दस्तखत थे, जिसका इस्तेमाल अजित पवार ने देवेंद्र फडणवीस के साथ सरकार बनाने में किया.

बहरहाल माना जा रहा था कि सरकार में पोर्टफोलियो को लेकर भी फैसले हो चुके थे. यह भी तय माना जा रहा था कि शिवसेना-एनसीपी और कांग्रेस की सरकार बनती तो अजित पवार उसमें भी डिप्टी सीएम ही बनते.

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अजित पवार के इस एक कदम की वजह से एनसीपी और पवार परिवार में दरार सामने आ गई. हालांकि सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि अजित पवार को मनाने की कोशिश की जा रही है.

अगर वो बीजेपी के साथ नहीं जाते, शिवसेना-एनसीपी और कांग्रेस की सरकार बनती तो उसमें भी अजित पवार डिप्टी सीएम ही बनते. लेकिन अब अगर वो मान भी जाते हैं तो और उनकी घर वापसी हो जाती है तो क्या एनसीपी पहले की तरह ही उन पर भरोसा कर पाएगी?

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