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गृह मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से खबर है कि केंद्र की मोदी सरकार एक बार फिर NCTC (नेशनल काउंटर टेररिज्म सेंटर) लाने पर विचार कर रही है. देश में बढ़ रहे आतंकी गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए एक बार फिर से एनसीटीसी को लेकर मोदी सरकार नई पहल कर रही है. आपको याद दिला दें कि मनमोहन सरकार ने भी इस परियोजना को देश में लागू करने की कोशिश की थी.
UPA सरकार के दौरान एनसीटीसी पर काफी विवाद हुआ था, क्योंकि कई राज्यों ने यह कह कर इसका विरोध किया था कि यह राज्यों के अधिकारों में हनन है. उम्मीद की जा रही है कि केंद्र सरकार नए सिरे से राज्यों को मनाने की कोशिश करेगी.
मोदी सरकार करेगी नई पहल
जानकारी के मुताबिक नई पहल के तौर पर इस बार एनसीटीसी में राज्यों की हिस्सेदारी बढ़ेगी और आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई के दौरान संबंधित राज्यों को विश्वास में लिया जाएगा. हालांकि एनसीटीसी पूरे तरीके से गृह मंत्रालय के अधीन ही काम करेगी और खुफिया एजेंसी IB से जुड़े इनपुट को एनसीटीसी के साथ साझा करेगी.
एडीजी स्तर का पुलिस अफसर इस सेंटर का प्रमुख होगा जो सीधे गृह मंत्रालय को ही रिपोर्ट करेगा. इस मामले में जिन राज्यों से मतभेद है उस को सुलझाने के लिए नए तरीके से कवायद की जाएगी. एनसीटीसी में रॉ, खुफिया एजेंसी आईबी, जॉइंट इंटेलिजेंस कमेटी और राज्यों की खुफिया एजेंसी के लिए नोडल एजेंसी का काम करेगा. बताया जा रहा है कि फोन टैपिंग के नियमों में किसी तरीके का कोई बदलाव नहीं होगा.
एनसीटीसी को नैटग्रिड से जोड़ा जाएगा लेकिन नैटग्रिड के डाटा चोरी न हो इसके लिए नैटग्रिड का चीफ खुद ही इसके डाटा को एक्सेस आसानी से नहीं कर सकेगा.
एनसीटीसी के नियमों के मुताबिक किसी भी आतंकी हमले की सूरत में आतंकी हमले को नाकाम करने के लिए एनसीटीसी आतंकी संगठनों के खिलाफ सीधी कार्रवाई कर सकेगी. कार्रवाई करने के बाद ऐसे मामलों की जांच संबंधित राज्यों को दी जाए या फिर एनआईए को इसे लेकर के सभी राज्यों से बात की जाएगी.
केंद्र और राज्य के बीच विश्वास की कमी को दूर करने की कोशिश होगी. राज्यों को इस बात के लिए मनाया जाएगा कि आतंकवाद ग्लोबल खतरा है और एनसीटीसी सिर्फ आतंकी खतरों को नाकाम करने के लिए ही बनाई गई है ना की राज्यों के अधिकारों में हनन के लिए.
पी चिदंबरम की पहल थी NCTC
राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक केंद्र यानि एनसीटीसी मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार की एक महात्वाकांक्षी परियोजना थी. यह तत्कालीन गृह मंत्री पी चिदंबरम की पहल पर गठित हुई थी. इसे 1 मार्च 2012 से अस्तित्व में आना था लेकिन हो न सका क्योंकि देश के कुछ राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने इसकी खुली मुखालफत की और इसे देश के संघीय ढांचे के विरुद्ध बताया था.