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मॉनसून सत्र में इन 6 अध्यादेशों पर कानून बनाना सरकार के लिए बड़ी चुनौती

मॉनसून सत्र के दौरान लोकसभा में 68 और राज्यसभा में 40 बिल लंबित हैं. सबसे अहम वो 6 अध्यादेश हैं जिन्हें पारित कराना सरकार की प्राथमिकता होगी.

संसद परिसर में पीएम नरेंद्र मोदी (फोटो- Getty Images) संसद परिसर में पीएम नरेंद्र मोदी (फोटो- Getty Images)
अनुग्रह मिश्र
  • नई दिल्ली,
  • 11 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 4:42 PM IST

संसद का मॉनसून सत्र 18 जुलाई से शुरू हो रहा है और इस सत्र में कई अहम विधेयक लंबित हैं. बीते बजट सत्र के हंगामेदार रहने की वजह से इस सत्र में विधेयकों का बोझ और बढ़ गया है. 18 कार्यदिवस वाले इस सत्र में 50 से ज्यादा विधेयक और 6 अध्यादेश लंबित हैं. अब सरकार के सामने चुनौती होगी कि वह सत्र को सुचारू रूप से चलाकर इन विधेयकों को पारित कराए.

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संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार ने सत्र की तारीखों का ऐलान करते वक्त कहा कि सत्र के दौरान सरकार तीन तलाक और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए राष्ट्रीय आयोग को संवैधानिक दर्जा देने से संबंधित समेत विधेयकों को लाने पर जोर दे सकती है. उन्होंने बताया कि इस सत्र के दौरान लोकसभा में 68 और राज्यसभा में 40 बिल लंबित हैं. सबसे अहम वो 6 अध्यादेश हैं जिन्हें पारित कराना सरकार की प्राथमिकता होगी.

1. भगोड़ा आपराधिक अध्यादेश 2018

बैंकों से कर्ज लेकर विदेश भागने वाले नीरव मोदी और विजय माल्या जैसे आर्थिक अपराधियों पर कड़ा अंकुश लगाने की कोशिशों के तहत केंद्रीय कैबिनेट ने अप्रैल माह में भगोड़े आर्थिक अपराधी अध्यादेश 2018 को मंजूरी दी थी. इसके बाद इसे राष्ट्रपति की ओर से भी मंजूरी दे दी गई थी. इस कानून के तहत अपराध कर देश से भागे व्यक्तियों की संपत्ति उन पर मुकदमे का निर्णय आए बिना जब्त करने और उसे बेच कर कर्ज देने वालों का पैसा वापस करने का प्रावधान है. बीते 12 मार्च को भी इस बिल को लोकसभा में पेश किया गया था, लेकिन संसद में विभिन्न मुद्दों को लेकर गतिरोध के चलते इसे पारित नहीं किया जा सका था.  

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2. वाणिज्यिक अदालत से जुड़ा अध्यादेश

केंद्र सरकार कारोबारी सुगमता के लिए रैंकिंग और अधिक सुधार की कोशिश के तहत व्यावसायिक विवादों को तेजी से निपटाने के लिए मई माह में कानून में संशोधन के लिये एक अध्यादेश लेकर आयी थी. इसे अभी राष्ट्रपति की मंजूरी मिलनी बाकी है. इस कानून में विवादों की न्यूनतम मूल्य सीमा को मौजूदा एक करोड़ रुपये के घटाकर तीन लाख रुपये करने का प्रावधान शामिल है. इसके अमल में आने के बाद कम मूल्य के व्यावसायिक विवादों के निपटान में लगने वाले मौजूदा 1,445 दिन के औसत समय को कम किया जायेगा.

3. आपराधिक कानून (संशोधन) अध्यादेश 2018

रेप के कानून को और सख्त बनाते हुए 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से बलात्कार के मामलों में दोषी ठहराए गए लोगों को फांसी देने संबंधी अध्यादेश को भी संसद से पारित होने का इंतजार है. कैबिनेट और फिर राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी है. आपराधिक कानून (संशोधन) अध्यादेश 2018 के मुताबिक ऐसे मामलों से निपटने के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट गठित किए जाएंगे और सभी पुलिस थानों और अस्पतालों को बलात्कार के मामलों की जांच के लिए विशेष फॉरेंसिक किट उपलब्ध कराई जाएगी. यह विधेयक अभी तक संसद में पेश नहीं हुआ है.

4. होम्योपैथिक केन्द्रीय परिषद (संशोधन) अध्यादेश 2018

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केंद्र सरकार की ओर से 18 मई को यह अध्यादेश लाया गया था. इसमें होम्योपैथी सेंट्रल काउंसिल कानून 1973 को संशोधित किया गया है. कानून के तहत फिर से इस काउंसिल का गठन करने का प्रावधान है. इसके अलावा अध्यादेश जारी होने से पहले अगर किसी ने होम्योपैथी मेडिकल कॉलेज स्थापित किया है या नए कोर्स शुरू किए हैं तो उसे एक साल के अंदर सरकार की मंजूरी लेनी होगी. अगर ऐसा नहीं हुआ तो फिर उस कॉलेज से पास होने वाले छात्रों को मेडिकल क्वालिफिकेशन एक्ट के तहत मान्य नहीं माना जाएगा.

5. राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय अध्यादेश 2018

इस अध्यादेश को जून में राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद लागू कर दिया गया है. बीती 23 मई को कैबिनेट की बैठक में खेल मंत्रालय की ओर से यह अध्यादेश लाया गया था जिसके तहत मणिपुर में राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय का मुख्यालय बनाने का लक्ष्य है. इस बिल को अगस्त 2017 में लोकसभा में पेश भी किया गया था. देश में खेल संस्कृति को बढ़ाया देने और बच्चों में खेलों के प्रति रुचि बढ़ाने की लिए इस यूनिवर्सिटी की स्थापना की जाएगी. इसके अलावा खिलाड़ियों को कोचिंग, ट्रेनिंग और अंतरराष्ट्रीय मानकों के लिहाज से तैयार करने का प्रावधान भी इस बिल में शामिल है. इसके लिए साल 2014-15 के बजट में 236 करोड़ रुपये का फंड भी प्रस्तावित है.  

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6. दिवालियापन और दिवाला संहिता (संशोधन) अध्यादेश 2018

इन्सॉल्वेंसी और बैंकरप्सी कोड 2016 में बदलाव करने के लिए केन्द्र सरकार बीते साल एक अध्यादेश लेकर आई थी. सरकार की ओर से  अध्यादेश के जरिए बैंकरप्सी कोड में एक नया सेक्शन 29A और 235A जोड़ा गया है. इस अध्यादेश को भी जून 2018 में राष्ट्रपति की मंजूरी मिल चुकी है. अध्यादेश के मुताबिक विलफुल डिफॉल्टर (स्वेच्छा से दिवालिया हुए) और अकाउंट को एक साल या अधिक समय के लिए NPA घोषित करने वाले लोगों को किसी तरह के समाधान की प्रक्रिया में शामिल नहीं किया जा सकेगा.

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