Advertisement

वारदात: हेमा-भंबानी मर्डर केस, कॉल में छिपा कातिल

मुंबई की एक हाई प्रोफाइल आर्टिस्ट, आर्टिस्ट की अपने पति से पांच साल पुरानी लड़ाई और फिर एक रोज अचानक आर्टिस्ट और उसके बुजुर्ग वकील का चौंकाने वाले तरीके से कत्ल हो जाता है. उत्तरी मुंबई के कांदीवली इलाके के एक नाले में सफाई कर्मी को दो ऐसे बक्से दिखे, जिन्हें देखने भर से ये गुमान हो रहा था कि बक्सों में शायद किसी की लाश बंद हैं.

मुंबई में हेमा- भंबानी हत्याकांड मुंबई में हेमा- भंबानी हत्याकांड
सुरभि गुप्ता
  • नई दिल्ली,
  • 15 दिसंबर 2015,
  • अपडेटेड 12:15 PM IST

मुंबई की एक हाई प्रोफाइल आर्टिस्ट, आर्टिस्ट की अपने पति से पांच साल पुरानी लड़ाई और फिर एक रोज अचानक आर्टिस्ट और उसके बुजुर्ग वकील का चौंकाने वाले तरीके से कत्ल हो जाता है. उत्तरी मुंबई के कांदीवली इलाके के एक नाले में सफाई कर्मी को दो ऐसे बक्से दिखे, जिन्हें देखने भर से ये गुमान हो रहा था कि बक्सों में शायद किसी की लाश बंद हैं. उसने फौरन पुलिस को खबर दी.

Advertisement

बक्सों से प्लास्टिक हटाते ही दो लाशें
गत्ते के इन बक्सों को सफेद प्लास्टिक शीट से अच्छी तरह रैप किया गया था, ताकि वो पानी में आसानी से ना पिघले और बहते हुए दूर निकल जाएं, लेकिन बक्सों का पता चलते ही पुलिस ने उन्हें नाले से बाहर निकलवा कर जांच शुरू कर दी. बक्सों से प्लास्टिक हटाते ही दो लाशें नजर आईं. एक लाश 40-45 साल के उम्र की एक औरत की, जबकि दूसरी 65 साल के एक शख्स की थी. बक्से में बंद मर्द की लाश की आंखों और मुंह पर टेप चिपका था, जबकि हाथ पांव बंधे हुए थे. औरत की लाश तो बंधी हुई नहीं थी, लेकिन उसके नाक और मुंह से खून बहने के निशान थे. दोनों लाशें जिस तरह से गत्ते के बक्सों में पैक कर नाले में निपटाई गई थी. उससे एक बात तो साफ थी कि ये कोई आम मौत नहीं, बल्कि कत्ल था. लिहाजा कांदीवली पुलिस ने फौरन कत्ल का मुकदमा दर्ज कर मामले की तफ्तीश शुरू कर दी.

Advertisement

इसी कड़ी में पुलिस ने सबसे पहले आस-पास के इलाकों से लापता इस उम्र के औरत और मर्द के बारे में पता करना शुरू किया. जल्द ही पुलिस को मुंबई के सांताक्रूज और माटूंगा थाने में दर्ज दो अलग-अलग मिसिंग रिपोर्ट्स की सूरत में सुराग भी मिले. पुलिस ने ये रिपोर्ट लिखवाने वाले लोगों को लाशों की शिनाख्त के लिए बुलाया. लेकिन जैसे ही दोनों ही लाशों की पहचान हुई, घरवालों के साथ-साथ पुलिस के भी होश उड़ गए. ये लाशें कोई मामूली लोगों की नहीं, बल्कि मुंबई की ही एक हाई प्रोफाइल आर्टिस्ट हेमा उपाध्याय और शहर के जाने-माने वकील हरीश भंबानी की थी.

चल रहा था तलाक का मुकदमा
कातिलों का शिकार हुई हेमा का अपने पति और मशहूर कलाकार चिंतन उपाध्याय के साथ तलाक का मुकदमा चल रहा था और वकील हरीश भंबानी हेमा की तरफ से ये मुकदमा लड़ रहे थे. आर्टिस्ट हेमा और उसके पति चिंतन उपाध्याय के दरम्यान पिछले 5 सालों से लड़ाई चली आ रही थी. कभी कॉलेज के दिनों में एक-दूसरे से बेइंतेहा प्यार करनेवाले हेमा और चिंतन इसी प्यार के भरोसे एक हुए थे और दोनों ने शादी भी की थी. लेकिन वक्त ने कुछ ही सालों में दोनों के रिश्तों में कड़वाहट घोल दी और अब दोनों तलाक के मसले पर अदालत में एक-दूसरे के सामने थे. हालांकि तलाक के साथ-साथ हेमा ने अपने पति चिंतन के खिलाफ फ्लैट की दीवारों पर अश्लील तस्वीरें बनाने का एक मुकदमा भी दर्ज करा रखा था और भंबानी इन तमाम मामलों में हेमा की ओर से पैरवी कर रहे रहे थे.

Advertisement

किसी ने हेमा को कॉल कर बुलाया
इसी सिलसिले में 11 दिसंबर को इस मामले में तब एक नया मोड़ आया, जब किसी ने हेमा के मोबाइल पर कॉल कर उसे चिंतन के खिलाफ कुछ और सबूत देने की बात कही और कांदीवली के किसी इलाके में मिलने के लिए बुलाया. हेमा उस शख्स से मिलने अपने वकील हरीश भंबानी के साथ कांदीवली के लिए रवाना हो गई. दोनों रात साढ़े आठ बजे घर से निकले. पुलिस की मानें तो अपने अपार्टमेंट के सीसीटीवी कैमरों में घर से जाती हुई दोनों की तस्वीरें भी कैद हुई हैं. हेमा ने निकलने के बाद जहां घर में टेलीफोन कर रात का खाना नहीं बनाने की बात कही, वहीं भंबानी ने भी अपनी बेटी को फोन कर हेमा के साथ केस के सिलसिले में देर तक रुकने की बात कही.

रात गुजरने के बाद जब दोनों के मोबाइल फोन स्वीच ऑफ हो गए और उनका कोई पता नहीं चला, तो घरवालों ने पुलिस के दरवाजे पर दस्तक दी. हेमा के घर में काम करनेवाले शख्स ने जहां सांताक्रूज़ थाने में उसके गायब होने की मिसिंग रिपोर्ट लिखवाई, वहीं भंबानी परिवार ने माटूंगा थाने में हरीश भंबानी को लेकर तहरीर दी. लेकिन अगले चंद घंटों में सामने आई दोनों की लाशों ने एक ही झटके में पूरे मामले को पलट कर रख दिया.

Advertisement

वाराणसी जा पहुंची मुंबई पुलिस
उस रहस्यमयी टेलीफोन कॉल का पीछा करती हुई मुंबई पुलिस वाराणसी जा पहुंची, जहां एसटीएफ ने एक ऐसे शख्स को धर दबोचा था, जिसने हेमा और हरीश के कत्ल की बात कबूल की थी. पुलिस के पास डबल मर्डर के इस रहस्यमयी मामले में वैसे तो कई सुराग थे, लेकिन इन सुरागों में सबसे अहम था, वो टेलीफोन नंबर जिससे कत्ल से पहले हेमा को फोन किया गया था.

वाराणसी में मिला एक हत्यारा
पुलिस ने जब इस नंबर को सर्विलांस पर लिया, तो पता चला कि नंबर यूपी की वाराणसी में एक्टिव है. कत्ल के फौरन बाद इस नंबर का वाराणसी में होना ये इंडिकेट कर रहा था कि कातिल मुंबई से दूर निकल चुका है. लेकिन जल्द ही यूपी एसटीएफ की शक्ल में कानून के लंबे हाथ इस मोबाइल फोन तक पहुंच गए. मोबाइल विद्या राजभर नाम के एक शख्स का था. हालांकि विद्या तो नहीं मिला, लेकिन उसका एक मुलाजिम शिव कुमार राजभर उर्फ साधु राजभर पुलिस के हत्थे चढ़ गया. दरअसल, साधु नाम का ये शख्स मुंबई के एक फोटो फ्रेमिंग वर्कशॉप में काम करता था, जिसने शुरुआती पूछताछ में ही ये कबूल कर लिया कि उसी ने अपने साहब विद्या के इशारे पर कुछ और साथियों के साथ मिल कर गला घोंट कर हेमा उपाध्याय और वकील हरीश भंबानी का कत्ल किया है.

Advertisement

पुलिस के शिकंजे से दूर मुख्य आरोपी
विद्या राजभर यानी मुंबई के फोटो फ्रेमिंग वर्कशॉप का मालिक हेमा का पुराना जानकार. सूत्रों की मानें तो विद्या राजभर के साथ हेमा ने अपनी पोट्रेट्स की कभी कोई बिजनेस डील की थी और इसी डील को लेकर दोनों के बीच कुछ विवाद भी था.सुरागों का पीछा करती हुई मुंबई पुलिस उस ट्रक ड्राइवर को भी गिरफ्तार कर चुकी थी, जिसने कातिलों के इशारे पर लाश को कांदीवली के नाले में फेंका था. लेकिन इस डबल मर्डर मिस्ट्री का सबसे अहम किरदार यानी कत्ल का सूत्रधार विद्या राजभर अब भी पुलिस के शिकंजे से दूर था.

पुलिस की गिरफ्त में आया शिवकुमार राजभर उर्फ साधु तो विद्या के कहने पर ही हेमा की जान लेने की बात कह रहा था. सूत्रों की मानें तो साधु ने पुलिस को यहां तक कहा कि उनका इरादा वकील हरीश भंबानी को मारने का नहीं था, लेकिन चूंकि वो हेमा के कत्ल के चश्मदीद थे, उन्हें बख्शना नामुमकिन था.

इस कहानी में बाकी हैं कई और पेंच
लेकिन सवाल यही था कि आखिर विद्या ने अपने ही मुलाजिमों से उसका कत्ल क्यों करवाया? क्या ये रुपए-पैसों के लेन-देन का मसला था या फिर विद्या को किसी और ने सुपारी दी थी? कहीं सुपारी देनेवाला हेमा का पति चिंतन तो नहीं था? तो इन सवालों का जवाब देने के लिए विद्या की गिरफ्तारी जरूरी थी. यही वजह है कि पुलिस ने कत्ल के इल्जाम में साधु की गिरफ्तारी के बावजूद चिंतन को क्लीन चिट नहीं दी. यानी अभी इस कहानी में कई और पेंच बाकी हैं.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement