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मोदी के ये 5 मंत्री रहे नॉन परफॉर्मर, इसलिए आई इस्तीफे की नौबत

इस्तीफे देने वालों में वो मंत्री शामिल हैं जो कि पीएम मोदी की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर सके. पढ़ें कौन हैं वो मंत्री और पीएम को क्या थी उनसे उम्मीदें...

5 मंत्रियों को काम ना करने की सजा 5 मंत्रियों को काम ना करने की सजा
मोहित ग्रोवर
  • नई दिल्ली,
  • 01 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 1:50 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी कैबिनेट में फेरबदल करने जा रहे हैं. बताया जा रहा है कि ये फेरबदल पिछले 3 साल का सबसे बड़ा कैबिनेट फेरबदल होगा. कई मंत्रियों पर गाज गिरने की तैयारी है, तो कई नए चेहरों को मौका भी मिल सकता है. इशारा पाकर कई मंत्री इस्तीफे दे चुके हैं. इस्तीफे देने वालों में वो मंत्री शामिल हैं जो कि पीएम मोदी की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर सके. पढ़ें कौन हैं वो मंत्री और पीएम को क्या थी उनसे उम्मीदें...

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1. सुरेश प्रभु - रेलमंत्री

पीएम मोदी ने रेलवे को भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए काफी बड़ी पूंजी बताया था. यही कारण था कि हार्ड टास्क मास्टर कहे जाने वाले सुरेश प्रभु को शिवसेना से अपनी पार्टी में लाकर रेलमंत्री बनाया. पीएम को प्रभु से उम्मीद थी कि वे रेलवे की तस्वीर बदलेंगे, निवेश बढ़ाएंगे और सबसे जरूरी रेल हादसों पर लगाम लगाएंगे. लेकिन शायद ही ऐसा हुआ, पिछले 1 महीने में ही 3 बड़े रेल हादसों ने देश को झकझोर दिया. जिसके बाद प्रभु ने खुद पीएम के सामने इस्तीफे की पेशकश की. प्रभु ने बड़े निवेश के जरिए 5 साल में रेलवे का कायाकल्प करने का प्लान तैयार किया, लेकिन वे बार-बार पैसा ना होने की दुहाई देते रहे.

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2. उमा भारती - जल संसाधन एवं गंगा सरंक्षण मंत्री

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2014 में जब पीएम वाराणसी चुनाव लड़ने पहुंचे थे, तो उन्होंने कहा था कि उन्हें मां गंगा ने बुलाया है. सरकार बनने के बाद उन्होंने इसके लिए नया मंत्रालय भी बनाया, उमा भारती मंत्री बनी तो उन्होंने कहा कि वह गंगा को साफ करके ही मानेंगी. वरना जल समाधि ले लेंगी. लेकिन पिछले 3 साल में गंगा सफाई को लेकर कोई बड़ा असर नहीं दिखा है, कोर्ट और NGT ने भी लगातार सरकार को इस मामले में फटकार लगाई है. उमा भारती ने हर बार कहा है कि 2018 तक गंगा सफाई के पहले चरण का काम पूरा हो जाएगा. ऐसे में जून 2017 के बाद गंगा साफ दिखने भी लगेगी. 2018 से दूसरे चरण का काम शुरू होना है, यह काम 2020 तक पूरा होगा.

बजट का भी रहा खेल

नमामि गंगे प्रोजेक्ट की शुरुआत से ही इसके बजट और खर्च की राशि में काफी अंतर रहा है. 2014-15 में 2137 करोड़ रुपये का बजट मंजूर किया गया और राशि आवंटित की गई 2053 करोड़ रुपये लेकिन खर्च सिर्फ 326 करोड़ रुपये ही हुए. 2015-16 में 1650 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की गई और खर्च होने से 18 करोड़ रुपये बच गए. इस साल 2500 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं. लेकिन खर्च का हिसाब अब तक नहीं मिल पाया है.

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3. राजीव प्रताप रूडी - स्किल डेवलेपमेंट मंत्री

बिहार के युवा नेता राजीव प्रताप रूडी को पीएम मोदी ने सबसे अहम जिम्मेदारी दी थी. बीजेपी का वादा था कि वह हर साल 2 करोड़ रोजगार देगी, इसके लिए पहली बार स्किल डेवलेपमेंट मंत्रालय भी बनाया गया. लेकिन बाद में पीएम मोदी कहते गए कि हमारा लक्ष्य रोजगार देने पर नहीं बल्कि रोजगार बनाने वाले युवाओं को बनाने पर है. इसके तहत स्किल डेवलेपमेंट यूनिवर्सिटी, स्किल डेवलेपमेंट सेंटर का प्लान था, जिस पर काम तो हुआ लेकिन जमीनी स्तर पर उसका कोई रिजल्ट नहीं दिख पाया.

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4. राधामोहन सिंह - कृषि मंत्री

राधामोहन सिंह के पास जो मंत्रालय रहा उन किसानों की बात पीएम मोदी लगभग अपने हर भाषण में करते हैं. बीजेपी का वादा था कि 2022 तक किसानों की आय को दोगुना किया जाएगा. लेकिन सॉयल हेल्थ कार्ड के अलावा किसानों के लिए कोई ऐसा काम नहीं किया गया जो कि जमीन पर दिखे. बल्कि पिछले 3 साल में लगातार किसानों की खुदकुशी की संख्या बढ़ी है. हाल ही में महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ में लगातार ये संख्या बढ़ी है.

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5. संजीव बालियान - जल संसाधन राज्य मंत्री

वेस्ट यूपी से आने वाले जाट नेता संजीव बालियान कृषि बैकग्राउंड से आते हैं. यही कारण रहा कि पहले उन्हें कृषि राज्य मंत्री बनाया गया था, क्योंकि उस इलाके में भी काफी किसान रहते हैं. लेकिन बाद में उनका विभाग बदला गया और जल संसाधन राज्य मंत्री बनाया गया. गौरतलब है कि गंगा का काफी बड़ा हिस्सा यूपी से होकर जाता है. यानी संजीव बालियान से किसानों के उद्धार से लेकर गंगा की सफाई तक की काफी उम्मीदें थी, लेकिन शायद वो इन पर खरे नहीं उतर सके. इसलिए विदाई हो रही है.

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