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नेपाल सरकार ने अपने नागरिकों को वापस लौटने की इजाजत दी, खोली सीमाएं

भारत के साथ चल रही तल्खियों के बीच नेपाल ने अपने नागरिकों को वापस आने की इजाजत दी है. नेपाल सरकार ने अपना नया राजनीतिक नक्शा तैयार किया है, जिसमें भारत के कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को भी शामिल किया गया है.

नेपाल के प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली नेपाल के प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली
मिलन शर्मा
  • काठमांडू,
  • 04 जून 2020,
  • अपडेटेड 7:34 AM IST

  • मार्च से बंद चल रहा था भारत-नेपाल बॉर्डर
  • भारत और नेपाल के रिश्तों में आईं तल्खियां

नेपाल सरकार ने वापस आने वाले अपने नागरिकों के लिए बॉर्डर खोल दिया है. अब नेपाल के जो नागरिक अपने वतन वापस लौटना चाहते हैं, वो जा सकते हैं. भारत और नेपाल सीमा को नेपाली नागरिकों के लिए खोल दिया गया है. यह बॉर्डर मार्च से बंद था.

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नेपाल ने अपने नागरिकों को वापस आने की इजाजत उस समय दी है, जब उसका भारत‌ के साथ सीमा विवाद चल रहा है. नेपाल सरकार ने अपना नया राजनीतिक नक्शा तैयार किया है, जिसमें भारत के कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को भी शामिल किया गया है.

इसको लेकर पिछले कुछ समय से भारत और नेपाल के संबंधों में तल्खियां चल रही हैं. हालांकि नेपाल भारत का पुराना मित्र रहा है. नेपाल के नए राजनीतिक नक्शे को लेकर भारत भी अपनी प्रतिक्रिया दे चुका है. विदेश मंत्रालय ने कहा था कि नेपाल को भारत की संप्रभुता का सम्मान करना चाहिए.

भारत के साथ तनाव को देखते हुए नेपाल ने अपने सीमावर्ती क्षेत्रों में सेना की तैनाती को भी मंजूरी दी है. यह पहली बार है जब नेपाल-भारत सीमा पर सेना की तैनाती होने जा रही है. अब तक भारत के तरफ सीमा की निगरानी एसएसबी करती थी वहीं नेपाल की तरफ से सशस्त्र प्रहरी बल (एपीएफ) के हवाले सुरक्षा की जिम्मेदारी थी.

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नेपाल सरकार ने अपनी खुली सीमाओं को बंद करने और निर्धारित सीमा क्षेत्र से ही नेपाल में एंट्री देने का फैसला किया है. ऐसा पहली बार हो रहा है. नेपाल और भारत के बीच करीब 1,700 किलोमीटर की खुली सीमाएं हैं.

इसे भी पढ़ेंः नेपाल की संसद में संशोधन बिल पेश, नये नक्शे में भारत के तीन हिस्से

अभी तक नेपाल जाने और आने वाले भारतीय नागरिकों को बिना रोक-टोक इन खुली सीमाओं से एंट्री मिलती थी. नेपाल सरकार के ताजा फैसले से अब सिर्फ निर्धारित सीमा से ही नेपाल में प्रवेश करने की इजाजत मिलेगी. जिस दिन नेपाल सरकार ने भारतीय क्षेत्रों को मिलाकर अपना नया नक्शा जारी किया था, यह निर्णय भी उसी दौरान लिया गया था.

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