
नेपाल ने प्रधानमंत्री केपी ओली ने एक बार फिर भारत को देश में आए संकट के लिए जिम्मेदार माना है और तेल समेत दूसरी अन्य सहायता के लिए चीन की प्रशंसा की है. ओली ने रविवार को कहा कि सीमा पर भारत की ओर से अघोषित नाकाबंदी ने राष्ट्र में मानवीय संकट की स्थिति उत्पन्न कर दी है और ऐसे हालात ने दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक संबंधों के महत्व को कम करने का काम किया है.
नेपाल में टीवी पर अपने पहले संबोधन में ओली ने कहा, 'नाकाबंदी का दंश जिन लोगों को सबसे अधिक भोगना पड़ रहा है, उनमें गर्भवती महिलाएं, स्कूल जाने वाले बच्चे और वे लोग भी शामिल हैं, जिन्हें तत्काल चिकित्सीय सहायता की जरूरत है.' उन्होंने आगे कहा कि सीमा पर नाकाबंदी के कारण लोगों के दिलो-दिमाग में अपने एक महत्वपूर्ण पड़ोसी को लेकर नकारात्मक छवि बनी है.
'चीन के साथ व्यापार का करेंगे विस्तार'
दूसरी ओर, अपने एक अन्य पड़ोसी चीन की प्रशंसा करते हुए प्रधानमंत्री केपी ओली ने कहा, 'हम चीन के साथ अपने व्यापार को न सिर्फ बढ़ाएंगे बल्कि उसका विस्तार भी करेंगे.' उन्होंने कहा कि मौजूदा संकट एक सबक है और यह देश के लिए आत्मनिर्भरता और तपस्या की ओर बढ़ने का समय है.
भारतीय नेताओं और प्रमुखों द्वारा पनबिजली परियोजनाओं की बहाली के लिए पिछले साल की गई उच्च स्तरीय यात्राओं को याद करते हुए ओली ने कहा, 'नेपाल जिस युद्ध जैसी स्थिति का सामना कर रहा है उसकी पृष्ठभूमि में वही प्रगति के कार्य हैं.'
'संविधान का मसौदा हमारा आतंरिक मामला'
प्रधानमंत्री के संबोधन से इतर नेपाल ने भारत और अन्य देशों को अपने मामलों में हस्तक्षेप नहीं करने की सलाह दी है. उसने स्पष्ट किया है कि संविधान का मसौदा तैयार करना उसका अंदरूनी मामला है और वह खुद अपने मुद्दों से निपटने में सक्षम है. नेपाल विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता द्वारा जारी एक बयान में कहा गया, 'नेपाल शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा दिए गए सहयोग व शुभकामनाओं का सम्मान करता है.'
नेपाल की यह प्रतिक्रिया 13 नवंबर को जारी एक संयुक्त बयान के जवाब में आई है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लंदन यात्रा के दौरान भारत और ब्रिटेन ने नेपाल में स्थाई एवं समावेशी संवैधानिक समाधान के महत्व पर जोर दिया था. संयुक्त बयान के मुताबिक, इससे चिंता के अन्य क्षेत्रों का समाधान होगा और राजनीतिक स्थिरिता एवं आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा.
नेपाल में भारतीय मूल के मधेशी लोगों द्वारा विरोध स्वरूप की जा रही नाकेबंदी के कारण ईंधन की भारी किल्लत हो गई है. मधेशी लोग नए संविधान के तहत देश को सात प्रांतों में बांटे जाने का कड़ा विरोध कर रहे हैं.