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बयानों के भरोसे तैयार हो रही है हिंदूवादी नेताओं की नई पीढ़ी

बयानों के जरिए राजनीति में बने रहना शायद सबसे सस्ता, टिकाऊ और मजबूत तरीका है. मेनस्ट्रीम पॉलिटिक्स से इतर देखें तो धार्मिक संगठनों के नेताओं के लिए चर्चा में बने रहने के लिए भी बयानबाजी ही शायद सबसे असरदार हथियार है.

हिंदू नेता हिंदू नेता
मृगांक शेखर
  • नई दिल्ली,
  • 02 मार्च 2015,
  • अपडेटेड 8:13 AM IST

बयानों के जरिए राजनीति में बने रहना शायद सबसे सस्ता, टिकाऊ और मजबूत तरीका है. मेनस्ट्रीम पॉलिटिक्स से इतर देखें तो धार्मिक संगठनों के नेताओं के लिए चर्चा में बने रहने के लिए भी बयानबाजी ही शायद सबसे असरदार हथियार है.

साध्वी प्राची की अपील
अब साध्वी प्राची का लेटेस्ट बयान सुनिए. साध्वी ने हिंदुओं से अपील की है वे न तो आमिर, सलमान और शाहरुख खान की फिल्में देंखे और न ही उनकी तस्वीरें अपने घरों में लगाएं. वे लव जिहाद के लिए जिम्मेदार हैं. साध्वी कहती हैं, 'इन तीन खानों की फिल्मों से हमारे बच्चों को समुचित संस्कार नहीं मिलता. तीनों खानों की तस्वीरें उतारकर होली जला दो.' इससे पहले साध्वी प्राची ने कहा था, 'ये लोग जो 35-40 पिल्ले पैदा करते हैं, फिर लव जेहाद फैलाते हैं. उस पर कोई बात नहीं करता है. लेकिन मेरे बयान के बाद इतना बवाल मच गया. लोगों ने मुझसे कहा कि ज्यादा बच्चे पैदा करने से विकास रुक जाएगा पर मैं अपने बयान पर कायम रही.'

साक्षी महाराज की सलाह
इसी तरह साक्षी महाराज ने कहा था, 'अगर देश को बचाना है तो हर हिंदू को कम से कम चार बच्चे पैदा करने होंगे.'

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योगी आदित्यनाथ के तीखे बयान
'घर वापसी' और 'लव जिहाद' को लेकर बीजेपी सांसद योगी आदित्यनाथ के बयानों पर भी खूब विवाद होता आया है.

ओबामा ने किया आगाह
गणतंत्र दिवस पर बतौर मुख्य अतिथि आए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने जाते जाते कहा कि भारत तब तक कामयाब रहेगा जब तक वह धार्मिक आधार पर विभाजित नहीं होगा और अपनी आस्था से इतर लोग शाहरुख जैसे एक्टर की फिल्में देखते रहेंगे और तालियां बजाते रहेंगे.

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ तौर पर आगाह किया कि किसी भी धार्मिक समूह को चाहे वह बहुसंख्यक हों या अल्पसंख्यक, सरकार ये इजाजत नहीं देगी कि खुलकर या छिपकर दूसरे धर्म के प्रति घृणा फैलाएं.

90 के दशक में अयोध्या आंदोलन के वक्त हिंदूवादी नेताओं की एक लंबी फेहरिस्त थी जिनके बयान देर तक सुर्खियों में बने रहते थे. चाहे वो अशोक सिंघल, प्रवीण तोगड़िया, विनय कटियार और साध्वी ऋतम्भरा जिनकी भी बात करें सभी के बयान तकरीबन एक जैसे होते थे. बाद के दिनों में कुछ नेताओं के स्वर तो धीमे पड़ गए लेकिन तोगड़िया मैदान में डटे रहे. तोगड़िया के ताजा बयान पर जरा गौर फरमाइए. उनका कहना है कि अगर देश में जबरन धर्म परिवर्तन को लेकर कोई कानून नहीं बना तो वह दिन दूर नहीं जब असम, केरल और पश्चि‍म बंगाल में हिन्दू आबादी पूरी तरह से खत्म हो जाएगी.

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ऐसा लगता है हिंदूवादी नेताओं की नई पीढ़ी बयानों के बूते ही खुद को स्थापित करने की कोशिश में है. वैसे इस दौर में हिंदू आबादी का कितना हिस्सा इन बयानों के बहकावे में आएगा, कहना मुश्किल है. सिर्फ बातों की खेती से किसी टिकाऊ उत्पाद की उम्मीद करना समझदारी के दायरे में तो नहीं आ सकता. अगर इन नेताओं ने कुछ ठोस नहीं किया तो वो दिन दूर नहीं जब इनके बयान वैसे ही बेअसर होने लगेंगे जैसे अब सियासी फतवों का हाल हो रहा है.

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