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दिल्ली के भीतर किसी भी बच्चे को नर्सरी में दाखिले के लिए स्कूल और घर की दूरी को सबसे बड़े पैमाने के तौर पर रखा गया है.
दिल्ली सरकार ने इसके बाबत एक गाइडलाइन ड्राफ्ट जारी किया है. इसके तहत हर नर्सरी स्कूल को अपने आस-पड़ोस के बच्चों को वरीयता देनी होगी. सूत्र कहते हैं कि स्कूल के नजदीक रहने वाले लोगों को दाखिले के दौरान वरीयता दी जाएगी.
सूत्र कहते हैं कि इसे लेकर अएक फाइल पहले ही उप राज्यपाल नजीब जंग के पास भेजी जा चुकी है, चूंकि वे भी इस तरह के बदलाव के पक्ष में हैं इसलिए वे दोनों किसी साझे समझौते पर आगे बढ़ सकते हैं.
इस वर्ष की शुरुआत में इसके बाबत एक याचिका भी दिल्ली हाई कोर्ट में दायर की गई थी. इसमें उन्होंने किसी बच्चे के नर्सरी में दाखिले के लिए पड़ोस को महत्वपूर्ण फैक्टर कहा था. इस याचिका के अनुसार किसी भी स्कूल को अपने आस-पड़ोस से 75 फीसदी स्टूडेंट्स को दाखिला देना होगा. सूत्र कहते हैं कि सरकार भी इसी तरह से आगे बढ़ने की कोशिश कर रही है.
दिल्ली के भीतर नर्सरी स्कूलों में दाखिला बहुत कठिन है. प्रदेश के 2000 स्कूलों में 1.5 लाख सीटें हैं. इनमें 1.6 लाख यूनिक आवेदनकर्ता होते हैं. शीर्ष के 50 स्कूलों में दाखिले के लिए बहुत मांग होती है. हालांकि कम मशहूर स्कूलों में इतनी मारामारी नहीं होती.
स्कूल का मैनेजमेंट भी ऐसे में आस-पड़ोस, भाई-बहन का उसी स्कूल में पढ़ना, किसी परिवार के सदस्य का वहां से पढ़ना आदि मानक रखता है. इस बीच 20 फीसदी दाखिले मैनेजमेंट कोटे के तहत होते हैं.
पिछले वर्ष दिल्ली सरकार ने मैनेजमेंट कोटा को समाप्त करने के साथ-साथ और भी 62 मानकों को खत्म करने के ऑर्डर दिए थे. इसमें बच्चों के फूड हैबिट, बच्चे के सेक्स, माता-पिता का बैकग्राउंड जैसे मानकों को शामिल किया गया था, लेकिन इस पहल को दिल्ली हाईकोर्ट ने दोनों बार रोकने का काम किया.