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पाकिस्तान की महिला मुक्केबाज खौशलीम बानो, रुखसाना परवीन और सोफिया जावेद ने 12वें दक्षिण एशियाई खेलों में हिस्सा लिया. यह तीनों महिला मुक्केबाजों का पहला अंतरराष्ट्रीय इवेंट है और इस लिहाज से उन्होंने इतिहास रच दिया है. पाकिस्तान की इन तीन मुक्केबाजों का कहना है कि उन्हें मुक्केबाजी में करियर बनाने की प्रेरणा पांच बार वर्ल्ड चैंपियन रह चुकीं भारत की महिला मुक्केबाज मैरी कॉम पर आधारित फिल्म देखने से मिली.
इन मुक्केबाजों ने बताया, ‘हम मैरी कॉम को बहुत समय से खेलते हुए देख रहे हैं और उनसे तथा उनकी फिल्म से ही हमें प्रेरणा मिली है.’ युवा महिला मुक्केबाजों का कहना है कि जब उन्होंने मुक्केबाजी के क्षेत्र में करियर बनाने के फैसले के बारे में अपने परिवार को बताया, तो उनके लिए इस क्षेत्र में आगे बढ़ना आसान सफर नहीं था.
पाकिस्तान सरकार कर रही है मदद
खौशलीम ने कहा, ‘कुछ विरोधी समूह थे, जिन्होंने हमारे इस फैसले को स्वीकार नहीं किया. पहले तो हमारे परिजन और दोस्त भी हमसे खुश नहीं थे, लेकिन अब हर कोई हमारा समर्थन कर रहा है फिर चाहे वो सरकार हो या मुक्केबाजी संघ.’
गौरतलब है कि तीनों महिला मुक्केबाजों ने 2015 की शुरुआत से ही मुक्केबाजी का प्रशिक्षण लेना शुरू किया है और उनके कोच नौमान करीम ने उन्हें प्रशिक्षण दिया है. नौमान करीन ने 2003 वर्ल्ड बॉक्सिंग चैम्पियनशिप में सिल्वर मेडल जीता है.
खौशलीम ने कहा, ‘हमने आठ माह पहले ही रिंग में प्रवेश किया है. हम जानते हैं कि मैरी कॉम जैसी अनुभवी मुक्केबाज के साथ लड़ना बहुत मुश्किल होगा, लेकिन हमारे कोचों ने हमें बहुत अच्छे से प्रशिक्षित किया है.’
गिलगित-बल्तिस्तान की रहने वाली 23 वर्षीया खौशलीम को बहुत ही बेसब्री से बॉक्सिंग रिंग में मैरी कॉम से मुकाबले का इंतजार है. उन्होंने कहा, ‘उनसे मुकाबला करना आसान नहीं होगा, लेकिन मैं आश्वस्त हूं कि बॉक्सिंग रिंग में मैं उनसे बहुत कुछ सीखूंगी.’
मैरी कॉम से मिली प्रेरणा
पाकिस्तान वर्ल्ड कप कबड्डी टीम की सदस्य रह चुकीं रुखसाना ने 2014 में पंजाब में सिल्वर मेडल जीता था. उनका कहना है कि जब उन्हें पता चला कि पाकिस्तान में कोई महिला मुक्केबाज नहीं है, तो उन्होंने इस खेल में कदम रखने का फैसला किया. रुखसाना ने कहा, ‘मैरी कॉम की फिल्म से ही मुझे इस चुनौती को लेने की प्रेरणा मिली. इंशा-अल्लाह अगर संभव हुआ, तो हम यहां से मेडल जीतकर घर लौटेंगे.’
सोफिया ने कहा कि वह भारत आकर और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बॉक्सिंग की शुरुआत करके काफी खुश हैं. उनका कहना है कि वे तीनों पिछले एक साल से प्रशिक्षण ले रही हैं. उन्होंने इस टूर्नामेंट के लिए चार महीने तक इस्लामाबाद में और छह महीने तक लाहौर में ट्रेनिंग लिया. अपने कोच और परिजनों के समर्थन को श्रेय देते हुए पेशावर की 20 वर्षीया बॉक्सर ने कहा, ‘हम भारत में अपने करियर की शुरुआत करके काफी खुश हैं. इस प्रतियोगिता के लिए मैं मानसिक रूप से तैयार हूं और आशावादी हूं कि पाकिस्तान के लोगों के लिए मेडल भी जीतूंगी.’
रुखसाना ने कहा, ‘पाकिस्तान में महिलाओं की बॉक्सिंग बिना किसी रुकावट के विकास करेगी. बहुत से लोगों ने हमारी मदद की है. हमारी सरकार, मुक्केबाजी संघ और हमारे कोचों ने खुले दिल से हमारे सपनों को पूरा करने के लिए हमारा समर्थन किया है.’
मैरी कॉम ने अकादमी में आने का दिया न्योता
इस बात को जानकर कि पाकिस्तानी मुक्केबाजों ने उनसे प्रेरणा ली है, मैरी कॉम ने खौशलीम, रुखसाना और सोफिया को लड़ते रहने और बीच राह में हिम्मत न हारने की सलाह ही. उन्होंने यह भी आशा जताई कि तीनों बॉक्सर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत ही बेहतरीन तरीके से अपने करियर की शुरुआत करेंगी.
मैरी कॉम ने कहा, ‘उन्हें और भी प्रेरणा की जरूरत है. अगर उन्हें मदद की जरूरत है, तो वह कभी भी मेरी अकादमी आ सकती हैं.’