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उन्होंने कहा, ‘सीमा मसले का जल्द समाधान दोनों ओर के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करता है और हम सभी जानते हैं कि सीमा का सवाल इतिहास से चला आ रहा है और रातोंरात इसका समाधान नहीं निकल सकता.’
चीन की नजर में सिर्फ 2000 किमी जमीन पर है विवाद
उन्होंने कहा, ‘अंतिम समाधान न होने तक हम सीमावर्ती क्षेत्रों में अमन चैन बनाए रखने के लिए संयुक्त प्रयास करेंगे. मेरा मानना है कि यह दोनों पक्षों के साझा हित में होगा.’ हुआ ने कहा कि चीन और भारत मोदी की यात्रा को महत्व देते हैं. उन्होंने कहा, ‘हमारा मानना है कि यात्रा द्विपक्षीय संबंधों के विकास को और मजबूती देगी.’
चीन का कहना है कि सीमा का मुद्दा सिर्फ 2000 किलोमीटर तक सीमित है जिसमें ज्यादातर अरुणाचल प्रदेश में है, लेकिन भारत का मानना है कि करीब 4000 किलोमीटर सीमा को लेकर विवाद है.
पर्यटन क्षेत्र में संबंध बढ़ाने को होंगे हस्ताक्षर
मोदी की चीन यात्रा के दौरान पर्यटन क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने पर नए समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएंगे. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को नई दिल्ली में इस समझौते के प्रस्ताव को मंजूरी दी. आधिकारिक विज्ञप्ति के मुताबिक, यह समझौता पर्यटन क्षेत्र में सहयोग को बढ़ाने के लिए सांस्थानिक तंत्र बनाने में मदद करेगा.
समझौते का मकसद पर्यटन क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाना, पर्यटन से जुड़ी सूचनाओं और आंकड़ों का आदान-प्रदान करना और होटलों और टूर ऑपरेटरों समेत पर्यटन के हिस्सेदारों के बीच सहयोग को बढ़ाना है.
सरकारी अखबार ने मोदी को बताया था 'चालबाज'
इससे पहले चीन के एक सरकारी अखबार ने प्रधानमंत्री की आलोचना की थी. अखबार ने अपनी एक खबर में उन पर अपनी घरेलू छवि चमकाने के लिए सीमा विवाद और चीन के खिलाफ सुरक्षा मुद्दों को लेकर ‘चाल चलने’ के आरोप लगाए गए हैं.
शंघाई एकेडमी ऑफ सोशल साइंसेज में शोधकर्ता हू झियोंग ने कहा, ‘सत्ता संभालने के बाद से मोदी ने जापान, अमेरिका, यूरोपीय देशों से भारत के संबंध बढ़ाने पर जोर दिया है ताकि देश के खराब आधारभूत ढांचे को ठीक किया जा सके और आर्थिक विकास को बढ़ाया जा सके.’
उन्होंने कहा, ‘लेकिन पिछले साल उनकी कूटनीतिक पहल से साबित हुआ है कि वह दूरदर्शी होने के बजाए यथार्थवादी हैं.’ लेख का शीर्षक है, ‘क्या मोदी के दौरे से चीन-भारत संबंध मजबूत होंगे?’