
तीन देशों की विदेश यात्रा पर निकले प्रधानमंत्री चीन के बाद रविवार को अपने अगले पड़ाव मंगोलिया पहुंचे. प्रधानमंत्री ने यहां मंगोलियाई संसद को संबोधित किया और मंगोलिया को 1 अरब डॉलर की आर्थिक मदद का ऐलान किया. मोदी ने कहा कि भारत और मंगोलिया के बीच रिश्ते अन्य के खिलाफ प्रतिस्पर्धा से संचालित नहीं हैं बल्कि यह अथाह सकारात्मक उर्जा पर आधारित संबंध हैं.
मंगोलियाई प्रधानमंत्री चिमेद सैखनबिलेग की मेजबानी वाले भोज में प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी यात्रा से दोनों देशों के बीच ‘प्राचीन संबंधों’ को नई मजबूती और गति मिली है. किसी भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा इस देश की यह पहली यात्रा है.
पीएम मोदी ने आगे कहा, ‘हमने अपने आध्यात्मिक संपर्क को सींचा है. गैंडन मठ की यात्रा सदा के लिए आनंद का स्रोत रहेगी. लघु नदाम उत्सव में हम आपकी संस्कृति की समृद्धता में सराबोर हो गए.' दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच वार्ता के बाद यह घोषणा की गई कि भारत ने मंगोलिया को एक अरब डॉलर का ऋण बुनियादी ढांचे के विकास के लिए दिया है ताकि वे अपने संबंधों को ‘रणनीतिक साझेदारी’ तक ले जा सकें.
कारोबार से नहीं मापा जाए रिश्ता
मोदी ने कहा कि दोनों देशों के संबंध को कारोबार के आधार पर नहीं मापा जा सकता या यह अन्य के खिलाफ प्रतिस्पर्धा से संचालित नहीं है. यह अथाह सकारात्मक उर्जा का संबंध है जो हमारे आध्यात्मिक संपर्क और साझा आदर्शों से पैदा होती है. उन्होंने कहा, 'यह वो उर्जा है जो हमारे दोनों राष्ट्रों की भलाई और दुनिया के लिए कल्याण चाहती है. यह उस उर्जा का रूप है जिसमें दुनिया में शांति, प्रगति और समृद्धि को बल देने की असीम शक्ति है.'
तोहफे में मिला रेस का घोड़ा
प्रधानमंत्री मोदी को मंगोलिया की ऐतिहासिक यात्रा के दौरान उनके मंगोलियाई समकक्ष चिमेद सैखनबिलेग से रेस के घोड़े के तौर पर विशेष तोहफा मिला. कंठक नामक घोड़ा ‘मिनी नादम’ खेल महोत्सव के दौरान भेंट किया गया.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता स्वरूप ने ट्विट किया, 'मंगोलिया के साथ संबंधों के नए तार जुड़े. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मोरिन खूर नामक इस जटिल वाद्ययंत्र को समझने का प्रयास किया.' उन्होंने लिखा, 'जापान में उन्होंने ड्रम बजाने का प्रयास किया. मंगोलिया में प्रधानमंत्री मोदी ने मोरिन खूर पर हाथ आजमाने की कोशिश की.'
स्वरूप ने प्रधानमंत्री का वह चित्र भी जारी किया, जिसमें प्रधानमंत्री काठ के बने इस वाद्य यंत्र को हाथ में पकड़कर उसे बजाने का प्रयास कर रहे हैं.
प्रधानमंत्री मोदी ने भी एल्बेगद्रोज को 13वीं शताब्दी से जुड़े मंगोल इतिहास की पांडुलिपि के अनुरूप विशेष रूप तैयार प्रतिकृति भेंट की. इसे ‘जैमूत तवारीक’ के रूप में जाना जाता है और यह इखेनात राजा गाजन खान की वृहद परियोजनाओं में से एक था. राजा के वजीर रशीदुद्दीन फैजुल्ला हामेदनी ने फारसी में इसके बारे में लिखा है.