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नशा तस्करों के लिए फांसी और पुलिस अफसरों पर खामोश क्यों है पंजाब सरकार?

पंजाब पुलिस के कर्मचारी नशे के कारोबार को फैलाने में ही नहीं बल्कि खुद भी नशे के शिकार हैं. हेरोइन का नशा करने वाले कुछ पुलिस कर्मचारियों के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल भी हुए हैं. पुलिस कर्मचारी बेखौफ वर्दी पहनकर हेरोइन का इस्तेमाल करने में मशगूल है.

सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर
मनजीत सहगल
  • चंडीगढ़,
  • 03 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 12:06 AM IST

पंजाब सरकार ने सोमवार को कैबिनेट की बैठक में अहम फैसला लेते हुए नशा तस्करों और नशा बेचने वालों के लिए फांसी की सजा की मांग कर डाली, लेकिन नशा तस्करी और बिक्री को बढ़ावा देने वाले तथा युवाओं और यहां तक कि महिलाओं को भी नशे के गर्त में धकेलने वाले पुलिस अधिकारियों पर चुप्पी साधे रही.

पंजाब पुलिस के कर्मचारी नशे के कारोबार को फैलाने में ही नहीं बल्कि खुद भी नशे के शिकार हैं. हेरोइन का नशा करने वाले कुछ पुलिस कर्मचारियों के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल भी हुए हैं. पुलिस कर्मचारी बेखौफ वर्दी पहनकर हेरोइन का इस्तेमाल करने में मशगूल है.

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आप का प्रदर्शन

उधर, पंजाब में नशे को लेकर आम आदमी पार्टी ने सोमवार को जमकर प्रदर्शन किया और पंजाब सरकार पर नशा तस्करी और तस्करों की तरफ आंखे मूंदने का आरोप लगाया.

पंजाब में विपक्ष के नेता सुखपाल सिंह खैहरा ने कहा कि राज्य सरकार नशा तस्करी और नशाखोरी को बढ़ावा देने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कोई कारवाई नहीं कर रही. मोगा के एसएसपी रंजीत सिंह पर नशे के पैसे से अकूत संपत्ति खरीदने का आरोप है लेकिन वह अभी भी अपने पद पर बने हुए हैं.

खैहरा का कहना है कि इन आरोपों से पंजाब के डीजीपी सुरेश अरोड़ा का दामन भी साफ नहीं है. उन्होंने कहा कि वह मंगलवार को मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से मिलेंगे और राज्य में चल रहे नशे के कारोबार की जांच के लिए न्यायालय के अगुवाई में जांच करने की मांग करेंगे. उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी ने पहले ही नशे के मसले पर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है.

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पुलिस अफसर पर 4 बड़ी शिकायतें

पिछले 4 दिनों के दौरान पंजाब के चार वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के खिलाफ नशे को बढ़ावा देने की चार गंभीर शिकायतें मिली है.

27 मई को कांग्रेस के विधायक और पूर्व कैबिनेट मंत्री राणा गुरजीत सिंह ने सुल्तानपुर लोधी के एसएचओ पर एक पत्रकार के बेटे को नशे में धकेलने के आरोप लगाए थे. मामला मुख्यमंत्री के कार्यालय तक पहुंचा तो एसएचओ को सिर्फ लाइन हाजिर कर दिया गया.

28 जून को लुधियाना की एक लड़की ने फिरोजपुर के डीएसपी दलजीत सिंह पर जबरन ड्रग्स लेने पर मजबूर करने के आरोप लगाए. हालांकि इस डीएसपी को मुअत्तल कर दिया गया है लेकिन आम आदमी पार्टी इसे सिर्फ कान मरोड़ना कहती है.

इसके अलावा 30 जून को बटाला के एसएचओ राजेंद्र कुमार और उसके गनमैन जतिंदर पर भी तस्करों के साथ मिलकर हेरोइन बेचने के आरोप लगे. आरोप गैंगस्टर हैरी मजीठिया ने लगाए.

जून 30 को ही सामने आए एक अन्य मामले में मोगा के एक ढाबे से रेस्क्यू की गई एक ड्रग एडिक्ट महिला ने भी पुलिस कर्मचारियों पर शारीरिक शोषण और उसे नशे में धकेलने के आरोप लगाए थे.

उधर, पंजाब सरकार ने सोमवार को नशा तस्करों और बेचने वालों के लिए फांसी की सजा की मांग की. पंजाब की कैबिनेट ने एकमत इस पर एक प्रस्ताव पास किया और उसे केंद्र सरकार को भेजने का फैसला किया.

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आरोप गलत

पंजाब के कैबिनेट मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा ने हालांकि उन आरोपों को सिरे से खारिज किया कि सरकार खुद नशाखोरी में जुटे और नशे को बढ़ावा दे रहे पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई अमल में नहीं ला रही.

बाजवा ने कहा कि कैबिनेट की बैठक में मुख्य सचिव को नशाखोरी और नशे के व्यापार के आरोप झेल रहे पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं.

हालांकि बाजवा मोगा के एसएसपी रंजीत सिंह के मामले पर चुप्पी साध गए. उन्होंने दावा किया कि पंजाब पुलिस ने नशे की तस्करी की चेन को तोड़ दिया है और अब बाकी बचे हुए नशा विक्रेता ही इस अपराध को अंजाम दे रहे हैं जिन पर जल्द ही काबू पा लिया जाएगा.

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