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महिला सुरक्षा पर स्पेशल टास्क फोर्स का पुनर्गठन, एलजी होंगे अध्यक्ष

आखिरकार दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बनी स्पेशल टास्क फोर्स का पुर्नगठन कर दिया गया है. दिल्ली सरकार के होम डिपार्टमेंट ने एलजी से मंजूरी लेकर स्पेशल टास्क फोर्स के पुनर्गठन के 17 जनवरी 2017 को ऑर्डर जारी कर दिए.

महिला सुरक्षा पर स्पेशल टास्क फोर्स का पुनर्गठन महिला सुरक्षा पर स्पेशल टास्क फोर्स का पुनर्गठन
रोशनी ठोकने
  • नई दिल्ली,
  • 22 जनवरी 2017,
  • अपडेटेड 1:20 AM IST

आखिरकार दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बनी स्पेशल टास्क फोर्स का पुर्नगठन कर दिया गया है. दिल्ली सरकार के होम डिपार्टमेंट ने एलजी से मंजूरी लेकर स्पेशल टास्क फोर्स के पुनर्गठन के 17 जनवरी 2017 को ऑर्डर जारी कर दिए. स्पेशल टास्क फोर्स में एलजी अनिल बैजल के अलावा 16 सदस्य होंगे. इस टास्क फोर्स की मीटिंग हर 15 दिन में होगी.

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दिल्ली की महिलाओं की सुरक्षा बनी टास्क फोर्स में एलजी के अलावा 16 सदस्य होंगे. जिसमें दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी, दिल्ली पुलिस कमिश्नर, दिल्ली महिला आयोग की चेयरपर्सन, होम डिपार्टमेंट (दिल्ली) के प्रिंसिपल सेक्रेटरी, डिविजनल कमिश्नर (रेवेन्यू), ट्रांसपोर्ट कमिश्नर (दिल्ली), दिल्ली पुलिस के स्पेशनल कमिश्नर (ट्रैफिक), स्पेशल कमिश्नर दिल्ली पुलिस (वूमेन सेफ्टी), एनडीएमसी के चेयरपर्सन, तीनों दिल्ली नगर निमग के कमिश्नर (ईस्ट, वेस्ट, साउथ), एक्साइज कमिश्नर (दिल्ली), महिला एवं बाल विकास विभाग (दिल्ली) की सेक्रेटरी, सोशल वेलफेयर डिपार्टमेंट की सेक्रेटरी और एक सदस्य केंद्रीय गृह मंत्रालय की यूनियन टेरेटरी डिविजन से होगा. इसके अलावा यदि इस टास्क फोर्स में कोई और सदस्य जरुरी लगता है तो उसे शामिल किया जा सकता है.

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महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल के मुताबिक स्पेशल टास्क फोर्स बनाने के लिए आयोग को करीब डेढ़ साल तक लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी है, उसके बाद जाकर इस टास्क फोर्स का गठन किया गया है. स्पेशल टास्क फोर्स बनाने का निर्णय माननीय हाईकोर्ट के दखल के बाद हुआ है.

पिछले डेढ़ साल से दिल्ली महिला आयोग लगातार यह मांग कर रहा था कि दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा के लिए एक स्पेशल टास्क फोर्स का गठन किया जाए जिसमें केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार, दिल्ली पुलिस और महिला आयोग को भी शामिल किया जाए, ताकि महिलाओं की सुरक्षा को लेकर केंद्र और दिल्ली सरकार एक मंच पर आकर ठोस निर्णय ले सकें और महिलाओं की सुरक्षा से जुड़ी जमीनी हकीकत के बारे में महिला आयोग एसटीएफ को अवगत कराता रहे. क्योंकि दिल्ली विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त होने की वजह से दिल्ली पुलिस केंद्र सरकार के अंतर्गत आती है और दिल्ली की महिला सुरक्षा के लिए दिल्ली पुलिस सबसे अहम कड़ी है. लेकिन कोई ऐसा प्लेटफॉर्म नहीं था जहां पर केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार, दिल्ली पुलिस और दिल्ली महिला आयोग एक साथ मिलकर दिल्ली की महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे को लेकर मीटिंग करें और निर्णय लें.

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गौरतलब है कि 2012 में निर्भया बलात्कार कांड के दौरान संसद में दिल्ली में महिला की सुरक्षा का मुद्दा उठने के बाद तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने केंद्रीय गृह सचिव की अध्यक्षता में दिल्ली की महिलाओं की सुरक्षा को लेकर एक स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) का गठन किया था. इस मीटिंग में जब दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष ने दिल्ली की महिलाओं से जुड़े सुरक्षा के मुद्दों को उठाना शुरु किया तो इस एसटीएफ को यह कहकर बंद वह उद्देश्य पूरा हो चुका है. इन हालातों के मद्देनजर दिल्ली महिला आयोग के पास कोर्ट की शरण में जाने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं था और आयोग ने कोर्ट की शरण ली.

21 दिसंबर 2016 को दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस बीडी अहमद की अध्यक्षता वाली पीठ ने एलजी को नोटिस देकर पूछा था कि दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा के लिए कोई एसटीएफ क्यों नहीं बनी. नोटिस के जवाब में एलजी अनिल बैजल ने कोर्ट में एफिडेविट फाइल किया है कि 17 जनवरी को एसटीएफ के पुनर्गठन का निर्णय लिया गया.

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