
दिल्ली हाई कोर्ट ने टेरी की उस कर्मचारी की एक याचिका पर सरकार से जवाब मांगा है जिसने आरोप लगाया है कि संगठन ने यौन उत्पीड़न की शिकायत के सिलसिले में एक आंतरिक शिकायत समिति की सिफारिश के अनुरूप अपने प्रमुख आरके पचौरी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की.
मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायमूर्ति जयंत नाथ की पीठ ने सरकार, द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (टेरी) और पचौरी के खिलाफ नोटिस जारी करने का निर्देश देते हुए महिला की याचिका पर 16 नवंबर तक जवाब मांगा है. पीठ ने कहा, ‘तीन हफ्तों के अंदर अपना आवश्यक जवाबी हलफनामा दाखिल करें. उसके बाद एक हफ्ते में प्रतिउत्तर दाखिल करें. यह एक ऐसा विषय नहीं है कि हम ऐसे ही खारिज कर दें. इस मुद्दे पर विचार किए जाने की जरूरत है.’
इससे पहले उनके वकील ने अदालत को बताया था कि आंतरिक शिकायत समिति की रिपोर्ट उसकी अर्जी पर एक औद्योगिक न्यायाधिकरण ने 29 मई को रोक लगा दी थी. महिला ने अपनी याचिका में स्थगन आदेश को चुनौती दी थी. साथ ही औद्योगिक न्यायाधिकरण के क्षेत्राधिकार को भी चुनौती देते हुए आईसीसी रिपोर्ट या इसकी सिफारिशों को लागू नहीं किए जाने के खिलाफ अपील की है
इससे पहले महिला की वकील ने अदालत में आरोप लगाया था कि टेरी और इसकी संचालन परिषद इसे दुर्व्यवहार के तौर पर लेने में या पचौरी को निलंबित करने में प्राथमिक तौर पर नाकाम रही जैसा कि आईसीसी ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की थी. वकील ने टेरी के सेवा निमायों की मांग करते हुए कहा कि सरकार से कोष प्राप्त संगठन के काम करने में पारदर्शिता की कमी है. गौरतलब है कि यौन उत्पीड़न के मामलों को लेकर पचौरी के खिलाफ 13 फरवरी को एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी.