
आज भी समाज में ट्रांसजेंडर्स को वह इज्जत नहीं मिलती जिनके वह हकदार हैं. लेकिन सत्यश्री शर्मिला उन लोगों के लिए एक बड़ा उदाहरण बनकर सामने आई हैं, जो ट्रांसजेंडर को आम लोगों से अलग मानते हैं. 36 साल की सत्यश्री शर्मिला देश की पहले ट्रांसजेंडर वकील बन गई हैं. तमिलनाडु बार काउंसिल ने उन्हें वकील के रूप में नियुक्त कर लिया है. अभी तक पूरे राज्य में एक भी ट्रांसजेंडर वकील नहीं था.
पढें- कैसे हासिल की सफलता
36 साल की सत्यश्री शर्मिला ने बताया- वह जीवन में कई कठिनाइयों को सामना कर यहां तक पहुंची हैं. उन्होंने कहा मैंने अपनी जीवन में काफी उतार- चढ़ाव देखें है और मैं चाहता हूं कि मेरे समुदाय के लोग हर क्षेत्र में अच्छा काम करें. योर स्टोरी की रिपोर्ट के अनुसार वकील बनने से पहले शर्मिला ट्रांसजेंडर अधिकारों के लिए कार्यकर्ता के रूप में 11 सालों से काम कर रहे थे.
पहले छोड़ा घर फिर मांगी भीख, अब बनीं देश की पहली ट्रांसजेंडर जज
आसान नहीं था मुकाम हासिल करना
सत्यश्री ने बताया इस पद पर पहुंचना मेरे लिए इतना आसान नहीं था क्योंकि इस शुरुआत से ही काफी कुछ सुनना पड़ता था. लेकिन मैं जनता था कि वक्त बदलेगा और लोगों की सोच भी. बता दें, उनका जन्म तमिलनाडु के रामनंतपुरम जिले में हुआ था. उनका बचपन का नाम उदय कुमार था. वहीं आस- पड़ोस वालों के तानों की वजह से 18 साल की उम्र में ही उन्हें घर छोड़ना पड़ा था.
मिलिए ओला की पहली ट्रांसजेंडर ड्राइवर से
इस वजह से चुनी कानून की पढ़ाई
सत्यश्री ने बताया कि शुरुआत से ही मैंने देखा कि ट्रांसजेंडर के साथ अक्सर काफी भेदभाव होता आ रहा है. शुरू में मैंने बीकॉम की पढ़ाई की. लेकिन बढ़ते भेदभाव के चलते मैंने कानून की पढ़ाई करने के बारे में सोचा. और फिर पीछे मुड़ कर नहीं देखा.
साल 2004 में उन्होंने सलेम गवर्नमेंट लॉ कॉलेज में एलएलबी में दाखिला लिया और साल 2007 में अपना कोर्स पूरा कर लिया. लेकिन वकील बनने के लिए उन्हें लंबा इंतजार करना पड़ा. दरअसल उन्हें बार काउंसिल में रजिस्ट्रेशन कराने के लिए 10 साल का समय लग गया. सत्यश्री ने बताया कि उनके पिता चाहते थे वह वकीव बनें और आज वह वकील बन गए हैं.
आपको बता दें, पिछले साल जोयिता मंडल देश की पहली ट्रांसजेंडर जज बनी थीं. जोयिता की नियुक्ति पश्चिम बंगाल के इस्लामपुर की लोक अदालत में की गई थी.