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व्‍यंग्‍य: रॉबर्ट वाड्रा को गुस्‍सा क्‍यों आता है

ये जानने के लिए कि एक सवाल पूछ देने पर रॉबर्ट वाड्रा को इतना गुस्सा क्यों आया, आपके लिए यह जानना ज्यादा जरुरी है कि रॉबर्ट वाड्रा हैं कौन?

आशीष मिश्रा
  • नई दिल्‍ली,
  • 03 नवंबर 2014,
  • अपडेटेड 2:32 PM IST

ये जानने के लिए कि एक सवाल पूछ देने पर रॉबर्ट वाड्रा को इतना गुस्सा क्यों आया, आपके लिए यह जानना ज्यादा जरुरी है कि रॉबर्ट वाड्रा हैं कौन? आप उस दौर में जी रहे हैं जब पानी ‘बिसलरी’ का है ‘आकाश’ अंबानी का, ‘आग’ रामगोपाल वर्मा की, मोदी की ‘हवा’ और ‘जमीन’ वाड्रा की. ऐसे में क्या हक बनता है किसी ANI को कि वाड्रा जी से जमीनी सवाल पूछे? कम लोगों को पता होगा कि उनके पिता का मुरादाबाद में पीतल का बड़ा कारोबार था तभी तो कम लोग ही ‘ये दुनिया पित्तल की’ का अर्थ समझ पाए, नहीं तो दुनिया पित्तल की बजाय स्टील वाले मित्तल की भी तो हो सकती थी.

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क्या आपको पता है पृथ्वी का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा पानी में क्यों है? ताकि रॉबर्ट वाड्रा उसे भी अपना न बना लें. इसीलिए तो वो जब भी कहीं खाली जमीन देखते हैं उनके दिमाग में ‘तुझे अपना बनाने की कसम खाई है’ गूंजने लगता है. गाने से ही जुड़ा उनके जीवन का एक और किस्सा याद आया. एक बार प्रियंका वाड्रा गाना गुनगुना रहीं थी, वाड्रा साहब बगल से गुजरे. जितना कुछ उनके कानों ने सुना वो ये था ‘जिस गली में तेरा घर न हो बालमां उस गली से हमें अब गुजरना नहीं’. फिर क्या...फिर जो हुआ वो इतिहास है. आज भी कभी-कभी प्रियंका, रॉबर्ट को चिढ़ाने के लिए ‘तेरी गलियों में न रखेंगे कदम, आज के बाद’ गा देती हैं बदले में वाड्रा ‘जाइए आप कहां जाएंगे’ गुनगुना देते हैं.

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प्रियंकापति होने के साथ-साथ वाड्रा उद्योगपति भी हैं. वॉल स्ट्रीट जर्नल की मानें तो 2007 में एक लाख रुपये से शुरू किया गया उनका कारोबार बढ़कर तीन सौ करोड़ का हो चुका है. भारत के इतिहास में हंसिका मोटवानी के बाद पहली बार कोई इतनी जल्दी बढ़ा था. आक्सि‍टोन का इंजेक्शन लगाने पर लौकी भी इतनी जल्दी नहीं बढ़ती. 'लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है' जैसे सवाल खड़े करने वालों को पीछे छोड़ रॉबर्ट वाड्रा ने साबित कर दिया कि सिर पर बड़ों का हाथ हो तो इंसान कुछ भी कर सकता है.

किसी को क्या पता था कि इतने भले इंसान पर कोई खेमका, खामखां ऊंगली उठा देगा. क्या ये उनकी गलती थी कि वो जब पहली बार हरियाणा गए तो उन्होंने ‘हरियाणा’ को ‘हथियाना’ पढ़ लिया? वो पहले इंसान थे जिन्होंने हमें बताया कि ‘आम’ आदमी होकर भी हम ‘बनाना रिपब्लिक’ में रह रहे हैं. वो ऐसे भले इंसान हैं कि देश के लिए कल को लाहौर और बीजिंग की जमीन को भी अपना बना सकते हैं.

अंग्रेज भी अपने खेत-खलिहान संभालने हिंदुस्तान छोड़कर सिर्फ इसलिए चले गए थे क्योंकि उन्हें पता चल गया था हिंदुस्तान में रॉबर्ट वाड्रा अवतार लेने ही वाले हैं. ये क्या उनकी गलती है कि उन्हें जमीनें इतनी आसानी से मिलती गईं जितनी आसानी से आपको आपके मोबाइल का फ्लिपकवर नहीं मिलता? ये क्या उनकी गलती है कि बचपन में उन्हें कब्ज की बजाय कब्जा हो जाता था? ये वो ही तो थे जिन्होंने हमें बताया ‘नट्स’ सिर्फ खाए नहीं हड़काए भी जाते हैं. इतने पर भी दिल तो देखिए जमाई राजा का कितना बड़ा है. रिपोर्टर से पूछ रहे थे ‘आर यू सीरियस ’, सच बताऊं अगर वो हां कह देता तो कंधे पर उठाकर सर गंगाराम हॉस्पिटल के आईसीयू में एडमिट करा आते. अच्छे लोगों के हजार दुश्मन होते हैं पर वाड्रा जी को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. आखिर वो ‘जमीन से जुड़ी’ शख्सियत हैं, सच्ची..आई एम सीरियस.

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