
नितिन अपने पिता बनवारी लाल जाटव के अपने गांव के बाहर मिट्टी ढो रहा था तभी गांव के प्रधान ने मौके पर आकर उसे खुशखबरी दी. प्रधान ने बताया कि जोधपुर से फोन आया है कि नितिन का चयन आईआईटी में हो गया है. पिता मनरेगा में मजदूर हैं और हाल ही में बेटा भी आईआईटी की परीक्षा देने के बाद पिता के साथ मजदूरी के काम में लग गया था.
दलित होने की वजह से नहीं लगेगी भारी भरकम फीस
बनवारी लाल बेटे को लेकर गांव पहुंचे तो देखते-देखते पूरे गांव में जश्न का माहौल बन गया. नितिन का कहना है कि वो दलित छात्र है, लिहाजा आईआईटी की भारी भरकम फीस नहीं देनी
पड़ेगी. फिर भी आईआईटी जैसी पढ़ाई के लिए पैसे का जुगाड़ करना उसके लिए चिंता का विषय है. नितिन ने आईआईटी तो कर ली और बेहद खुश भी है, लेकिन साथ ही खर्चीले उच्च शिक्षा
की चिंता उसे सता रही है.
नितिन के परिवार को है किसी भामाशाह की तलाश
नितिन का मानना है कि कोई न कोई भामाशाह मदद कर देगा जैसा अबतक होता आया है. नितिन का परिवार बेहद गरीब है. घर में तीन भाई और दो बहनें और हैं. उनकी जिम्मेदारी पिता पर
है. पिता-पुत्र ने खुद को मनरेगा में मजदूरी करने के लिए रजिस्टर्ड कर रखा है. जब भी नंबर आता है तो उसमें मजदूरी कर अपना गुजारा करते हैं.
पिपेहरा गांव में छाई खुशियों की लहर
गांव के बेटे ने आईआईटी में 499वां रैंक लाया है, ये पूरे पिपहेरा गांव के लिए गर्व की बात है. पूरे गांव में खुशियां मनाई जा रही है. नितिन पढाई में तो बेहद होशियार था मगर घर की माली
हालत बेहद खराब थी. नितिन के पिता बनवारी लाल जाटव ने बताया कि वह बचपन से ही पढ़ने में मेधावी छात्र रहा है. पढ़ाई के बाद समय मिलने पर मेरे साथ काम में हाथ भी बंटाता
था.
बचपन से ही पढ़ाई पर था नितिन का फोकस
पिता बताते हैं कि दिनभर काम करने के बावजूद वो पढ़ाई के लिए वक्त निकाल लेता था. नितिन गांव वालों का भी शुरू से ही प्यारा था. गांव वालों का कहना है कि नितिन सिर्फ पढ़ाई की
तरफ ध्यान देता था और किसी मौज मस्ती में नहीं रहता था.
नवोदय विद्यालय का छात्र रहे हैं नितिन
नितिन के पिता और भाई राजन कहते हैं कि परिवार की हालत खराब होने से हमारे सामने बेटे को पढ़ाने का संकट बन गया, लेकिन हमने हार नहीं मानी और दिन-रात मजदूरी करते हुए
पहले केंद्रीय नवोदय विद्यालय में उसका दाखिला दिलाया. जहां उसने 10वीं में 85 फीसदी और बारहवीं में 84 फीसदी अंक हासिल किए.
जोधपुर के सुपर थर्टी में की थी तैयारी
उसके बाद नितिन की तमन्ना आईटी में जाने की हुई लेकिन फिर वही पैसे की कमी के चलते परिवार का भरण पोषण करना दुर्लभ हो गया. नितिन को पता चला कि गरीब बच्चों को
आईआईटी की तैयारी करवाने के लिए आल इंडिया सुपर थर्टी जोधपुर में खुला है तो वो वहां जा पहुंचा. वहां पर उसने टेस्ट दिया और उसका चयन सुपर थर्टी में हो गया.
दूसरी कोशिश में मिली नितिन को कामयाबी
वहां नितिन ने कड़ी मेहनत करते हुए दूसरे राउंड में आईआईटी में 499वां स्थान हासिल कर परिवार को नई खुशी दी. सुपर थर्टी के टीचर दिनेश कुमार कहते हैं कि नितिन जैसे प्रतिभावान छात्र
की आगे की पढ़ाई के लिए वो मदद करेंगे और किसी न किसी दान दाता को ले आएंगे. नितिन अब अपने बाकी के भाई बहनों को पढ़ा-लिखाकर अच्छी जगह पर सेटल करना चाहता है.