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समाजवादी पार्टी में आंतरिक कलह के बीच शनिवार को अखिलेश खेमे के रामगोपाल यादव एक बार फिर चुनाव आयोग के पास पहुंचे. रामगोपाल ने 205 विधायकों के समर्थन का हलफनामा चुनाव आयोग में दिया. साथ ही रामगोपाल ने फिर दावा ठोंका कि असली समाजवादी पार्टी अखिलेश की अगुवाई वाली है. इसके साथ ही उन्होंने साइकिल चुनाव चिह्न अखिलेश की अगुवाई वाली पार्टी को देने की मांग की.
रामगोपाल यादव ने दावा किया कि सपा में 90 फीसदी से ज्यादा नेता और कार्यकर्ता अखिलेश के समर्थन में हैं. उन्होंने कहा कि कुल 5731 में 4716 प्रतिनिधियों के हलफनामे भी हम चुनाव आयोग में दायर करेंगे. इस बीच रविवार को मुलायम सिंह यादव लखनऊ में पार्टी ऑफिस पहुंचे और कहा कि पार्टी में कोई मतभेद नहीं है. इस बीच पार्टी पर दावा ठोकने के लिए मुलायम और शिवपाल एक बार फिर दिल्ली पहुंच गए हैं. मुलायम खेमा सोमवार को चुनाव आयोग में हलफनामा दाखिल कर सकता है.
चुनाव आयोग में हलफनामा दाखिल करने की आखिरी तारीख 9 फरवरी है. आयोग ने दोनों पक्षों को अपने-अपने कागजात 9 जनवरी तक जमा करने को कहा है. अखिलेश खेमा पहले ही आवश्यक कागज जमा कर चुका है.
अखिलेश के पक्ष में अधिकतर विधायक होने पर अमर सिंह ने कहा कि विधायकों की संख्या सरकार बनाने के लिए मायने रखती है, पार्टी के चिह्न पर अधिकार के मामले में नहीं. अखिलेश को समर्थन वाले हलफनामे पर हस्ताक्षर फर्जी हैं, इसलिए उसकी विश्वसनीयता संदिग्ध है.
सुलह की कोशिश नाकाम
वहीं शनिवार को एक बार फिर सुलह की कोशिश में शिवपाल ने अखिलेश से भेंट की. उम्मीद जगी कि कुछ सकारात्मक नतीजा आएगा. एक समय तो लगा कि समझौता हो गया है. मीडिया को संदेश मिला कि मुलायम आपात प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे और कोई बडा ऐलान होगा, लेकिन कुछ ही मिनट में बिना कोई वजह बताए प्रेस कॉन्फ्रेंस रद्द कर दी गई. सपा सांसद अमर सिंह ने कहा कि वह पिता पुत्र में समझौता चाहते हैं और वह मुख्यमंत्री की राह का रोड़ा नहीं हैं. मौजूदा गतिरोध की वजह हालांकि अमर सिंह को ही माना जा रहा है. अमर सिंह के इस्तीफे की अटकलें भी चल रही हैं. एक संभावना ये भी है कि शिवपाल प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दें. पारिवारिक अंतर्कलह शुरू होने से पहले अखिलेश सपा के प्रदेश अध्यक्ष थे.