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किताबें छोड़ एटीएम की कतारों में लग रहे स्टूडेंट्स, हो रही परेशानी...

नोटबंदी की वजह से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स को हो रही परेशानी, किताबों के बजाय एटीएम और बैंकों की कतारों में कट रहा है समय...

ATM- Students ATM- Students
रोशनी ठोकने
  • नई दिल्ली,
  • 17 नवंबर 2016,
  • अपडेटेड 7:29 PM IST

नोटबंदी ने हर किसी की मुश्किल बढ़ा दी है, लेकिन सबसे ज्यादा दिक्कतों का सामना उन छात्रों को करना पड़ रहा है, जो अपने घर से दूर देश की राजधानी में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं. ऐसे छात्र इन दिनों पढाई से ज्यादा वक्त बैंकों की कतारों में बिता रहे हैं.

मुंबई निवासी समीर सिद्दिकी दिल्ली के मुखर्जी नगर इलाके में रह कर यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं लेकिन पिछले चार दिनों से वे एटीएम की कतारों में लगने को मजबूर हैं. यह उनके लिए काफी मुश्किल हो रहा है. कई बार समीर का नंबर आने से पहले ही एटीएम बंद हो जा रहे हैं. नंबर आने पर कैश खत्म हो जा रहा है. हालात कुछ ऐसे बन रहे हैं कि वह अब किताब के साथ एटीएम की कतारों में खड़े होने लगे हैं. कड़ी मशक्कत के बाद समीर को 2000 रुपये मिले. गनीमत रही कि उन्हें ये सारे नोट 100-100 के मिले. अब इन्हें इस्तेमाल करना उनके लिए आसान होगा.

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यहां समीर को तो चार दिनों के संघर्ष के बाद एटीएम से पैसे मिल गए लेकिन समीर की तरह कई और स्टूडेंट्स भी हैं जो अभी भी जूझ रहे हैं. यदि बेर सराय के एटीएम के बाहर लंबी लाइनों में खड़े छात्रों की परेशानियों का अंदाजा लगाएं.
लाइन में खड़े लोगों में ज्यादातर छात्र बेर सराय में ही पीजी या रूम लेकर रहते हैं लेकिन इनमें से लगभग हर दूसरा छात्र आजकल किताबों के साथ रहने के बजाय एटीएम या बैंक के बाहर बिता रहा है. नोटबंदी की वजह से कुछ छात्रों को तो रोजमर्रा के काम के लिए भी उधार लेना पड़ रहा है.

यूपीएससी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे मयंक बिहार के रहने वाले हैं. उनकी जेब में बमुश्किल 60-70 रूपये ही बचे हैं लिहाजा एटीएम की लाइन में लगना मयंक की मजबूरी है. मयंक के मुताबिक 8 नवम्बर के बाद से सबकुछ बस उधार पर ही चल रहा है. दोस्तों से भी उधार में कुछ पैसे लिए हैं क्योंकि जेब बिलकुल खाली हो चुकी थी. वे बहुत सोच समझ कर खर्च करने को मजबूर हैं.

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उधार के भरोसे काम चलाने को मजबूर इन छात्रों की मुश्किल सिर्फ एटीएम की लंबी लाइनें नहीं है बल्कि उनका कीमती वक्त है. दरअसल कोचिंग के बाद भी ये छात्र 8 से 10 घंटे सेल्फ स्टडी में बिताते हैं लेकिन अब छात्रों का यही समय सिर्फ पैसे निकालने या नोट बदलवाने की जद्दोजहद में बीत रहा हैं जिससे इन छात्रों की पढाई का भी नुकसान हो रहा है. जाहिर तौर पर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुटे छात्रों के लिए ये काफी चुनौती भरा समय है. इसका असर उनकी तैयारी पर भी दिख रहा है.

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