
कारगिल की जंग को भले ही 18 साल हो गए हों, लेकिन आज उस जंग के दो वीर योद्धा सूबेदार संजय कुमार और सूबेदार मेजर योगेंद्र यादव कश्मीर के मौजूदा हालात में एक बार फिर लड़ने के लिए तैयार हैं. सूबेदार संजय कुमार का कहना है कि, कारगिल की जंग मेरे जीवन का एक अहम हिस्सा था. मैंने अपने जीवन का बड़ा हिस्सा कश्मीर में गुजारा और उसके बाद मुझे करगिल जंग में जाने का मौका मिला.
संजय ने कहा, फौज की हमारी ऐसी ट्रेनिंग होती है कि हमें किसी भी ऑपरेशन में कोई दिक्कत नहीं आती. हमारे सीनियर हर कदम पर हमें सही राय देते थे. सीनियर के पास एक्सपीरियंस और हमारे पास जोश था. हमें मश्कोह घाटी में एक पोस्ट को कैप्चर करने का आदेश मिला था. उस पोस्ट पर लगी दो गन से हमें बहुत नुकसान हो रहा था.
मुझे जब भी कश्मीर दोबारा जाने का मौका मिलेगा मैं अपनी यूनिट के साथ वहां जाऊंगा. पहले भी हमने कश्मीर में आतंकियों से मुकाबला किया. लड़ाई के मुकाबले में कश्मीर में जो आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन चल रहे हैं वे ज्यादा मुश्किल हैं. क्योंकि उसमें पता नहीं चलता कि दुश्मन कहां छुपा है और कब गोली चला सकता है.
वहीं, सूबेदार मेजर योगेंद्र यादव के मुताबिक, करगिल की लड़ाई एक विशेष लड़ाई थी, क्योंकि हम पहले से तैयार नहीं थे. अचानक हमें आदेश मिला कि हमें हमला करना है. मैं तो उस वक्त शादी करके लौटा था. मेरी 19 साल की उम्र थी.
टाइगर हिल्स को कैप्चर करने के लिए एक घातक प्लाटून बनाई गई थी और मेरा सौभाग्य है कि मुझे उस प्लाटून में जाने का मौका मिला. तीसरी रात जाकर हमारा दुश्मनों से कोंटेक्ट हुआ और मौत की परवाह किए बिना हम आगे बढ़ते रहे. एक के बाद एक मेरे साथी सैनिक शहीद होते रहे. आखरिकार हमनें टाइगर हिल को कैप्चर किया.
हर सैनिक के अंदर जज्बा होता है कि जब भी उसे दुश्मनों का नाश करने का मौका मिले वह सरहद पर जाएगा. मैं भी हमेशा अपने देश के लिए आज भी मोर्चे पर जाने के लिए तैयार हूं. जब तक कश्मीर में पूरी तरह से दहशतगर्दी खत्म नहीं होती हम एक भी आतंकी को नहीं छोड़ेंगे.
सूबेदार मेजर योगेंद्र यादव को इस बात का मलाल भी है कि एक सैनिक को समाज से जो उच्च दर्जे का सम्मान मिलना चाहिए वो नहीं मिलता है. सेना जरूर अपने सैनिक का पूरा ख्याल रखती है और सम्मान देती है.