
दिल्ली के नागलोई में विंबलडन खत्म होते ही जश्न का माहौल छा गया. यहां के नागल परिवार को अचानक पड़ोसियों और रिश्तेदारों की तरफ से बधाइयां मिलने लगीं. सिर्फ नागलोई ही नहीं भारत के हर गली में नागल परिवार के लड़के सुमित नागल की सफलता के चर्चे हैं. 17 साल के सुमित ने जूनियर ब्वॉयज डबल्स विंबलडन का खिताब जीतकर इतिहास रच दिया है.
सुमित के लिए विंबलडन की ट्रॉफी जीतना इतना आसान नहीं था. उनके पिता प्राइमरी स्कूल में शिक्षक हैं. सुमित को बचपन से ही टेनिस खेलन का शौक था. टेनिस मैच को देखकर वह सारे मूवमेंट्स सीखने की कोशिश करते थे, खासकर के रोजर फेडरर और सेरेना विलियम्स से. वे नोवाक जोकोविच के खेल से काफी प्रभावित हैं. यही नहीं, टेनिस से उनके लगाव को इस बात से समझा जा सकता है कि उन्हें बड़े खिलाड़ियों के मैच स्कोर, ट्रॉफी और दूसरी सारी जानकारियां याद रहती हैं.
संसाधन की कमी रास्ते में बाधा डाल रही थी लेकिन सुमित के पिता ने बेटे के शौक को पूरा करने के लिए कई क्लब के कोचों से संपर्क किया. 2007 में सुमित का चयन आरके खन्ना अकेडमी के ट्रेनिंग कैंप के लिए किया गया. वहीं पर महेश भूपति की नजर सुमित पर पड़ी.
भूपति ने सुमित को अपनी टीम में शामिल कर लिया. महज नौ साल की उम्र से सुमित टेनिस सीखने के लिए घर से बाहर विदेश तक की यात्रा कर रहे हैं. जूनियर ब्वॉयज डबल्स विंबलडन जीतने से पहले वे विदेशों में कई टेनिस मैच जी चुके हैं. उनके पिता को विश्वास है कि उनका बेटा नई ऊचाइंयों को छुएगा और देश का नाम रोशन करता रहेगा.